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वीरपुर में फिजिकल मॉडलिंग सेंटर की स्थापना से बाढ़ एवं कटाव का कम खर्च में होगा बेहतर प्रबंधन : संजय कुमार झा

सुपौल। वीरपुर में भौतिकीय प्रतिमान केंद्र (Physical Modelling Centre) की स्थापना से कोसी सहित प्रमुख नदियों की बाढ़ से सुरक्षा की योजनाओं को शीघ्रता से पूरा कराने में मदद मिलेगी और नदियों से उत्पन्न होने वाले कटाव एवं अन्य जोखिम से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा। यह केंद्र नदियों के हाइड्रॉलिक गुणों के अध्ययन के लिए पुणे के बाद देश का दूसरा विशिष्ट संस्थान होगा। इसका करीब 95 कार्य पूरा हो गया है। अंतिम चरण के शेष कार्यों को 31 दिसंबर 2023 तक पूरा कराने के निर्देश दिये गये हैं।" यह जानकारी बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री श्री संजय कुमार झा ने गुरुवार को वीरपुर में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माणाधीन भौतिकीय प्रतिमान केंद्र का स्थल निरीक्षण और अद्यतन प्रगति की समीक्षा करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दी।

श्री संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में बाढ़ के प्रभाव को कम करना मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकता रही है। वर्ष 2008 में कोसी नदी में आई भीषण बाढ़ के बाद से ही माननीय मुख्यमंत्री का इस बात पर जोर था कि बाढ़ से सुरक्षा के लिए राज्य के संसाधनों को और विकसित किया जाये तथा अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया जाये। जल संसाधन विभाग द्वारा वीरपुर में निर्माणाधीन फिजिकल मॉडलिंग सेंटर का पिछले वर्ष मई में मुख्यमंत्री ने खुद स्थल निरीक्षण किया था। 

श्री संजय कुमार झा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वीरपुर में फिजिकल मॉडलिंग सेंटर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कोसी एवं अन्य प्रमुख नदियों के हाइड्रॉलिक गुणों (यथा- जल की गुणवत्ता, नदी के बहाव की प्रवृत्ति, गाद का श्रेणीकरण) के साथ-साथ बराज, रेगुलेटर, तटबंध और स्पर के निर्माण और पुरानी धार को पुनर्जीवित करने से क्षेत्र में पड़ने वाले प्रभाव इत्यादि का अध्ययन कराना है। यह केंद्रीय जल एवं शक्ति अनुसंधान स्टेशन (Central Water and Power Research Station), पुणे के बाद नदियों के हाइड्रोलिक गुणों के अध्ययन के क्षेत्र में देश का दूसरा विशिष्ट संस्थान (Centre of Excellence) होगा। इसकी स्थापना से बिहार के साथ-साथ निकटवर्ती राज्यों को भी नदियों पर आधारित अनुसंधान तथा विकास की परियोजना तैयार करने में सुविधा होगी। इससे बाढ़ के प्रभाव को कम करने के साथ-साथ नदियों से उत्पन्न होने वाले कटाव एवं अन्य जोखिम के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी। पुणे की बजाय वीरपुर में ही यह अध्ययन होने से खर्च और समय की भी बचत होगी।

उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों से निकलने वाली नदियां अपने तीव्र प्रवाह के साथ अत्यधिक मात्रा में गाद भी लाती है, जिसके कारण नदियों का प्रवाह काफी जटिल हो जाता है। जब ये नदियां बिहार मे प्रवेश कर समतल भाग में बहती है, तो नदियों पर अवस्थित संरचनाओं पर अत्यधिक दबाव डालती हैं। नदियों के बहाव की प्रवृत्ति और उसमें गाद की मात्रा एवं प्रकृति के अध्ययन एवं निष्कर्ष के आधार पर ही बराज, डैम, तटबंध एवं अन्य विकास परियोजनाओं की अभियांत्रिक रूपरेखा तैयार की जाती है। 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोसी नदी के विभिन्न रीच का मॉडल टेस्ट केंद्रीय जल एवं शक्ति अनुसंधान स्टेशन (Central Water & Power Research Station) पुणे के द्वारा कराया जाता है। इसमें राज्य सरकार को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है और मॉडल जांच में अधिक समय लगता है। भौतिक प्रतिमान केंद्र, वीरपुर में कोसी सहित प्रमुख नदियों के विभिन्न अवयवों की प्रतिमूर्ति (Replica) को स्केल अप एवं डाउन के आधार पर तैयार किया जाएगा तथा उसका मॉडल अध्ययन किया जाएगा। इस सेंटर में प्रशासनिक भवन, कर्मशाला एवं प्रयोगशाला, जल परिसंचरण प्रणाली, कोसी नदी और कोसी बराज का मॉडल, चार मॉडल ट्रे, भंडारण कक्ष इत्यादि का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें लगभग 95 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो गया है। अंतिम चरण के शेष कार्यों को इस साल के अंत तक पूरा कराने के निर्देश दिये गये हैं।
 
कहा कि प्रदेश में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा हाल के वर्षों में स्टील शीट पाइलिंग सहित कई नई तकनीक को पहली बार अपनाया है। साथ ही अर्ली वार्निंग सिस्टम को अत्याधुनिक बनाया गया है, पटना में मेथेमेटिकल मॉडलिंग सेंटर की स्थापना की गई है और सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग किया गया है।


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