Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News

latest

छातापुर : नहर की तल सफाई में दो दिनों से भिड़ा है जेसीबी, प्रखंड से लेकर मनरेगा कर्मी तक को पता नहीं

• छातापुर प्रखंड के झखाड़गढ पंचायत का मामला, पुलिया क्षतिग्रस्त रहने से वार्ड नंबर पांच में बंद है नहर, मुखिया पति करवा रहे काम

सुपौल। छातापुर प्रखंड के झखाड़गढ पंचायत में योजना क्रियान्वयन के नाम पर लुकाछिपी का खेल चल रहा है। बीते दो दिनों से वार्ड नंबर पांच में जेसीबी से नहर की तल सफाई हो रही है। मामले का रोचक पहलू यह है कि पूछने पर मनरेगा पीओ, पीटीए व पीआरएस ने उक्त स्थल पर विभागीय योजना संचालन से स्पष्टतया इनकार किया। वहीं पंचायत की जिम्मेदारी उठा रहे प्रखंड कार्यालय के तकनीकी सहायक ने ऐसी किसी योजना क्रियान्वयन की जानकारी से खुद को अलग बताया। ऐसा तब हो रहा है जबकि क्षेत्र के हजारों कामगार रोजी रोटी की तलाश में बाहरी प्रदेशों में गए बताए जाते हैं। विडंबना है कि एक तरफ सरकार बेरोजगारी की समस्या दूर करने की कवायद में दिन रात जुटी है। वहीं प्रखंड के पंचायतों में जेसीबी से योजना क्रियान्वित कर मजदूरों की रोजी रोटी छीनी जा रही है। बुधवार को स्थलीय जायजा में ज्ञात हुआ कि जिस नहर की तल सफाई में जेसीबी भिड़ाई गई थी उसका मुहाना क्षतिग्रस्त पुलिया के समीप पूर्णतया बंद था। मौके पर स्थानीय लोगों ने बताया कि कार्य किस योजना से हो रहा है पता नहीं है। स्थल पर दूर-दूर तक सूचनापट्ट का अता पता नहीं है सो योजना मद की जानकारी से स्थानीय लोग अनभिज्ञ दिखे। दूसरी ओर जब प्रखंड कार्यालय के संबंधित तकनीकी सहायक व मनरेगा कार्यालय के कर्ताधर्ता ही उक्त स्थल पर योजना क्रियान्वयन व संचालन से इनकार कर रहे हैं तो फिर मद के बारे पूछना कतिपय उचित नहीं था। हालांकि मामले में जानकार बताते हैं कि ऐसा तो योजना क्रियान्वयन में पूर्व की बानगी है। योजनाओं की जानकारी छिपाकर रखना और निष्पादन के बाद में पटल पर लाना संबंधितों का आदतन शुमार है। स्थल पर जब योजना कार्य निष्पादन पर होता है तब बोर्ड लगाकर फारिग हो लिया जाता है। सूत्र बताते हैं कि स्थल पर गुणवत्तापूर्ण कार्य निष्पादन के लिए जिम्मेदार तकनीकी सहायक के दिशा निर्देश को बिचौलिए तरजीह नहीं देते और धड़ल्ले से मनमर्जी करते हैं। इसकी मौखिक जानकारी भी प्रखंडस्तरीय पदाधिकारी तक पहुंचाई गई है कि कहने के बावजूद संबंधित स्थलों पर बोर्ड लगाने से परहेज़ बरतते हैं। बावजूद मेलफांस ऐसा कि बीच के कर्मी साख बचाने के लिए झेंपते रहते हैं। नहर तल सफाई कार्य में जेसीबी से कार्य करवाने के बाबत जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि स्थानीय मुखिया पति की निगेहबानी में दो दिनों तक नहर की तल सफाई हुई है। एक स्थानीय व्यक्ति ने तो यहां तक बताया कि जब जेसीबी चल रहा था तो मामले की जानकारी बीडीओ को मोबाइल से दी गई थी। लेकिन उन्होंने स्थानीय एक ग्रामीण को स्थल पर भेजकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली। ज्ञात हुआ कि इससे पूर्व भी वार्ड नंबर आठ के समीप सुरसर नदी के बीचोंबीच जेसीबी से खुदाई कर ट्रैक्टर ट्राली से लाखों की मिट्टी बेच दी गई और बाद में उसे चिरान कार्य दिखाकर सरकारी राशि उठाव का भी प्रयास हुआ। अब इसका फलाफल अंदरखाने क्या आया यह तो सरकारी फाइलें ही बता सकती है या फिर बाबूओं को ही बेहतर पता होगा। लेकिन इतना तो तय है कि बिना निजी स्वार्थ के योजना क्रियान्वयन के नाम पर बिचौलियों की मनमानी यूं ही चरम पर तो चल नहीं सकती!

कोई टिप्पणी नहीं