सुपौल। भाजपा और अतिपिछड़ा के नेता अशोक कुमार शर्मा उर्फ अशोक सम्राट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सामाजिक न्याय के पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत 36 वर्ष पश्चात् 100वीं जयंती पर भारत सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न देने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले से बिहार के लोग काफी खुश हैं। इसके लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री धन्यवाद के पात्र हैं। अति पिछड़ा समाज मोदी जी का ऋणी है। कहा कि आज कर्पूरी जी लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे।लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक की उपाधि मिली।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौझिया गांव में हुआ था।नाई जाति से आने वाले कर्पूरी ठाकुर ने अपना सामाजिक जीवन देश के स्वतंत्रता संघर्ष से शुरू किया था।वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में रहे थे।वे समाजवादी विचारधारा वाले गरीबों एवं वंचितों के नेता थे।इन्हीं के समय में हीं पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हुइ थी।ये पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे।1952 से लगातार विधानसभा सदस्य रहे और कभी वह चुनाव नहीं हरे।वे हमेशा अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे।भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक राजनीतिक, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। लेकिन अपने इतने अहम पदों पर रहने के बावजूद उनके पास छोटा सा झोपड़ी था। अपनी गाड़ी भी नहीं थी। राजनीति में ईमानदारी सज्जनता एवं लोकप्रियता ने उन्हें जननायक बना दिया। कर्पूरी जी ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री रहते हुए चौधरी चरण सिंह जी जननायक के घर गए थे। यह की घर की चौखट छोटी थी और चौधरी जी के सिर में चोट लग गई। चरण सिंह ने कहा कर्पूरी इसको जरा ऊंचा करवाओ, तब कर्पूरी ठाकुर जी ने कहा था कि जब तक बिहार के गरीबों का घर नहीं बन जाता मेरा घर बन जाने से क्या होगा। इसके बाबजुद मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनको काफी विरोध झेलना पड़ा। आजाद भारत के इतिहास में कर्पूरी ठाकुर जी को सदैव याद किया जाएगा।
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