- मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान : डॉ अमन
सुपौल। मृत्युभोज पूर्ण प्रतिबंध एवं कुरीति मिटाओ-देश बचाओ अभियान के संदेश को जन-जन में पहुंचाने के उद्देश्य से जिला मुख्यालय अंतर्गत बीबीसी कॉलेज सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने कहा कि कुरीति के खिलाफ सभी सामाजिक संगठन, समाजसेवी, बुद्धिजीवी को समाज के हित में खड़ा होने की आवश्यकता है। परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर समाज को इस संकट की घड़ी में तन-मन-धन से साथ देना चाहिए। लेकिन मृत्युभोज का पूर्णतः बहिष्कार होना चाहिए। मृत्युभोज मुर्दा खाने के समान है। मृत्युभोज एक सामाजिक टैक्स है। मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। मृत्युभोज के कारण कई परिवार वर्षों बरस कर्ज में दब जाते हैं। यह शोकाकुल परिवार के लिए मृत्युदंड के समान है। इसलिए समाज को मृत्युभोज जैसी दावत को ना कहने की आवश्यकता है। डॉ कुमार ने कहा कि प्राचीन काल से हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बनाए गए हैं। जिसमें पहला संस्कार गर्भ धारण और अंतिम संस्कार अन्त्यष्टी है तो 17 वां संस्कार अर्थात मृत्युभोज महज पाखंडी व्यक्ति के दिमाग की उपज है। महाभारत के अनुशासन पर्व में स्पष्ट लिखा है की मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। भोज की जगह जनहित का कार्य करें। भगवान श्री कृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम, श्री-श्री आनंदमूर्ति, डॉ राम मनोहर लोहिया, स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, पंडित श्रीराम शर्मा, जननायक कर्पूरी ठाकुर आदि भी मृत्यु भोज के खिलाफ थे। कहा कि फिजूलखर्ची द्वारा धनी बनने का ढोंग कहीं से भी उचित नहीं है। मृत्युभोज खाने वाला और खिलाने वाला महापाप के भागीदार होंगे। इससे धर्म का अपमान हो रहा है। जीवित अवस्था में माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा भोज है। वक्ताओं ने कहा कि मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है। राजस्थान के तर्ज पर बिहार सरकार और भारत सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय और परिस्थिति के अनुसार भारतीय संविधान में दर्जनों बार संशोधन हो चुका है। उसी तरह वर्तमान समय में भी सामाजिक और धार्मिक परंपरा में संशोधन की आवश्यकता है। कार्यशाला में नारायण साह, अमित कुमार सागर, दिनेश राम, देवेन्द्र यादव, भोला मंडल, सिकेन्द्र यादव, हरिबोल यादव, ओम प्रकाश चौधरी, केशव कुमार, आशीष झा, माधव कामत, अनिल कुमार आदि ने भी अपना विचार व्यक्त किया।

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