सुपौल। सत्संग से मनुष्य की आत्मा शुद्धि होती है तथा मनुष्य का मन व चित्त शांत रहता है। ईश्वर की भक्ति करने से ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। सभी मनुष्यों को सत्संग करना चाहिए। यह बातें मुख्यालय स्थित विश्वकर्मा कॉलेज के निकट आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग ज्ञान यज्ञ के दौरान महर्षि मेंही ब्रह्म विद्यापीठ हरिद्वार उत्तराखंड से आये व्यासानंद जी महाराज ने कही। व्यासानंद जी महाराज ने कहा कि बहुत ही कठिन परिश्रम के बाद मानव तन मिलता है। इसका सदुपयोग करना चाहिए तथा ईश्वर भक्ति में शरीर को लीन करना चाहिए। मनुष्य को धन का सदुपयोग करना चाहिए। मनुष्य को झूठ, हिंसा, नशा, व्यभिचार तथा चोरी को त्यागकर ईश्वर भक्ति में खुद को लगाना चाहिए। मौके पर मौजूद अन्य वक्ताओं ने भी प्रवचन के दौरान संतप्रेमियों को ईश्वर भक्ति करने का उपदेश दिया। इस दौरान स्थानीय धर्मप्रेमियों ने भी महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया। सत्संग के दौरान सत्संग में आए सभी संत सत्संगियों के लिए प्रसाद के भंडारे की बड़ी व्यवस्था की गई थी। यह दो दिवसीय कार्यक्रम शुक्रवार को संपन्न होगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्वागत समिति के अध्यक्ष अनिल खेरवार, सचिव सुशील कुमार, कामेश्वर सिंह, देवनारायण खेड़वाऱ, अजय आनंद, विनोद कुमार महतो, अनिल पोद्दार, दिलीप भगत, जयशंकर विराजी, मंटू गुप्ता, रामू भगत, जगदीश भिंडवार, संतोष कुमार समीर आदि जुटे हुए थे।
वीरपुर : बहुत ही कठिन परिश्रम के बाद मिलता है मानव तन, इसका करना चाहिये सदुपयोग : व्यासानंद जी महाराज
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