सुपौल। अक्षय का अर्थ है-जिसका कभी नाश (क्षय) ना हो अथवा जो अस्थाई रहे। अस्थाई वहीं रह सकता है, जो सर्वदा सत्य है और सत्य केवल परमात्मा ईश्वर ही है जो अक्षय, अखंड एवं सर्व व्यापक है, वह अक्षय तृतीया तिथि है। उक्त बातें त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि यह अक्षय तिथि परशुराम जी का जन्मदिन होने के कारण परशुराम तिथि भी कही जाती है। अक्षय तृतीया तिथि को आखातीज भी कहते हैं। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को है। इसी तिथि को चारों धामों में से एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। आचार्य धर्मेंद्र ने कहा कि इस अक्षय तृतीया तिथि को ही वृंदावन में श्री बिहारी जी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार होते हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भक्तजन चरण-दर्शन के लिए वृंदावन पधारते हैं। कहा कि अक्षय तृतीया का पर्व वसंत और ग्रीष्म के संधिकाल का महोत्सव है। उन्होंने कहा कि इसी तिथि को नरनारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसलिए उनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है।
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