- राजस्थान के तर्ज पर देश में बने कानून-डॉ. अमन
- मृत्युभोज के बदले प्रकृति को बचाने में अपनी अहम योगदान दें
सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पूरब पंचायत के आजान गाँव में सोमवार को ग्रामीण डाक सेवक अजय कुमार की धर्मपत्नी प्रियंका कुमारी की मृत्यु तत्पश्च्यात मृत्युभोज पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर सामाजिक बैठक आयोजित की गई। जिसमें सर्वसम्मति से मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया गया। बैठक में अपना विचार रखते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर समाज को इस संकट की घड़ी में तन मन धन से साथ देना चाहिए। लेकिन मृत्युभोज का पूर्णतः बहिष्कार होना चाहिए। मृत्युभोज मुर्दा खाने के समान है। मृत्युभोज एक सामाजिक टैक्स है। मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। मृत्युभोज के कारण कई परिवार वर्षों बरस कर्ज में दब जाते हैं। यह शोकाकुल परिवार के लिए मृत्युदंड के समान है। मृत्युभोज की जगह जनहित का कार्य करना चाहिए। डॉ. अमन कुमार ने कहा कि समाज के हित व मृत्युभोज छोड़ो अभियान के पक्ष में सभी सामाजिक संगठन, समाजसेवी, बुद्धिजीव, जनप्रतिनिधि को खड़ा होने की आवश्यकता है। अपने परिवार को खोने का दुःख और ऊपर से भारी-भरकम खर्च का कोई औचित्य नहीं है। इसका किसी भी धर्म ग्रंथ में उल्लेख नहीं है। इसलिए मृत्युभोज से सभी को परहेज करना चाहिए। मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है। डॉ. कुमार ने कहा कि राजस्थान के तर्ज पर बिहार सरकार और भारत सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए। जीवित अवस्था में माता-पिता व परिजन की सेवा ही सबसे बड़ा भोज है। भोज के बदले शिक्षा की अलख जगाने साथ-साथ इंसान व प्रकृति को बचाने में अपना अहम योगदान दें। शिक्षा इंसान का सबसे प्रिय मित्र है।समाज के फैसले को शोकाकुल परिवार ने सहर्ष स्वीकार किए। बैठक में सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता, गणेश यादव, पूर्व प्रधानाध्यापक अनीता कुमारी गुप्ता, ललन गुप्ता, रामानंद गुप्ता, परमानंद गुप्ता, दिलीप गुप्ता, सुनील गुप्ता, संजय गुप्ता, अरबिंद गुप्ता, दिनेश मंडल, नागेश्वर मंडल, रुपेश मंडल, उपेन्द्र ठाकुर, मुकेश मंडल आदि शामिल थे।

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