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समाज की लगी मोहर, हरदी में अब नहीं होगा मृत्युभोज



  • हरदी ग्राम में अब नहीं होगा मृत्युभोज
  • मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है : डॉ. अमन
सुपौल। सदर प्रखंड के हरदी ग्राम में लोरिक विचार मंच के प्रदेश संरक्षक व पूर्व प्रधानाध्यापक जगदीश प्रसाद यादव की 100 वर्षीय माँ माया देवी के मरणोपरांत मृत्युभोज को लेकर सामाजिक बैठक हुई। जिसमें सर्वसम्मति से हरदी ग्राम में मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया गया। हरदी में दादी माँ के नाम से मशहूर माया देवी के स्मृति में फलदार आम का पौधा लगाया गया। हरदी के ग्रामीणों ने कहा कि समाज के व्यापक हित में मृत्युभोज छोड़ो अभियान बहुत ही बढ़िया है। सामाजिक जनचेतना व जनशिक्षा के लिए मृत्युभोज छोड़ो अभियान का गाँव-गाँव में प्रचार-प्रसार अतिआवश्यक है। 

बैठक में लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। मृत्युभोज के कारण कई परिवार वर्षों बरस कर्ज में दब जाते हैं। समाज यदि मृत्यु को दुःख की घड़ी मानते हैं तो मृत्युभोज पूर्णरूपेण बंद होना चाहिए। यदि खुशी की घड़ी मानते हैं तो बाकायदा निमंत्रण पत्र या सोशल मीडिया में लिखना चाहिए कि मैं बड़ी खुशी के साथ सूचित कर रहा हूँ कि मेरा............. का मृत्यु हो गया है और उसके मरने की खुशी में समाज, रिश्तेदार और अपने जाति को शानदार भोज देने जा रहा हूँ। डाॅ. कुमार ने कहा कि व्यक्ति अपने आप को पढ़े-लिखे, गुणवान, समझदार, विद्वान एवं आधुनिक इंसान समझते हैं और वहीं परम्परा सैकड़ो वर्ष पुरानी निभा रहें हैं। समय और परिस्थितियों के अनुसार वर्तमान समय में सामाजिक व धार्मिक परम्परा तथा रीति-रिवाज में भी संशोधन की आवश्यकता है। राजस्थान के तर्ज पर बिहार सरकार और भारत सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए। आज समाज को मृत्युभोज से पूर्ण आजादी चाहिए।

 डाॅ. कुमार ने कहा कि पढ़े-लिखे लोग भी यदि मृत्युभोज खाते हैं या करते हैं तो उनकी शिक्षा पर धिक्कार है। शान, शौकत, वाहवाही व बड़प्पन के लिए मृत्युभोज का आयोजन कहीं से भी उचित नहीं है।जीवित अवस्था में माता-पिता या परिजन की सेवा ही सबसे बड़ा मृत्युभोज है। इसका किसी भी धर्म ग्रंथ में उल्लेख नहीं है। मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है। मृत्युभोज की जगह जनहित का कार्य करना चाहिए। बैठक में हृदय नारायण मुखिया, कुलदीप प्रसाद यादव, राजेन्द्र प्रसाद यादव, प्रदीप प्रकाश, जदयू नेता आलोक यादव, अरुण यादव, देवेन्द्र प्रसाद यादव, गणेश यादव, मो॰ कलीम, जीवन यादव, आशुतोष यादव, संतोष कुमार, मनीष कुमार, नारायण चौधरी, महेन्द्र यादव, अवकाश प्राप्त सहायक अभियंता अरविंद कुमार, दीपक कुमार, दिगम्बर मुखिया, बद्री चौधरी, लाल मोहर यादव, जीवनेश्वर पाठक, प्रभास चन्द्र यादव, रामनारायण साह, इन्द्रभाष यादव, चन्द्रभाष यादव, तन्मय कुमार यादव, त्रिवेणी कुमार, मुकेश कुमार यादव आदि उपस्थित थे।

 

 


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