सुपौल। समाहरणालय परिसर स्थित मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत संचालित पालना घर का उद्घाटन मंगलवार को समाज कल्याण विभाग-सह-प्रभारी मंत्री मदन सहनी, जिलाधिकारी कौशल कुमार, पुलिस अधीक्षक शैशव यादव ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। मंत्री एवं डीएम द्वारा पालना घर हेतु संविदा आधारित क्रेच वर्कर, सहायक क्रेच वर्कर पद के चयनित कर्मी को नियोजन पत्र भी दिया गया।
साथ ही मंत्री के द्वारा पालना घर में उपस्थित बच्चों को बिस्किट टॉफी एवं अन्य उपहार दिया गया। डीएम श्री कुमार ने बताया कि समाहरणालय परिसर एवं आस पास में कार्यरत महिला एवं पुरुष कर्मियों के बच्चों को उनके कार्य अवधि में छह माह से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को रखने की निःशुल्क व्यवस्था की गयी है। जिलाधिकारी द्वारा बताया कि पालना घर एक ऐसी सुविधा है, जिसमें कामकाजी महिला एवं पुरुष अपने पांच वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को अपने कार्य के दौरान छोड़ कर जाते हैं तथा यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उचित वातावरण उपलब्ध होता है। मौके पर एडीएम राशिद कलीम अंसारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आईसीडीएस शोभा सिन्हा, जिला परियोजना प्रबंधक, महिला कर्मी एवं सहायक एनएनएम सदर प्रखंड के महिला पर्यवेक्षिका आदि मौजूद थी।
महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से बनाये गये पालना घर का लाभ कामकाजी महिलाओं को मिलेगा। बिहार सरकार नौकरी में महिलाओं को आरक्षण दे रही है, जिसके बाद कार्यालयों में महिला कर्मियों की संख्या काफी बढ़ी है। ऐसे में उन महिलाएं के छोटे बच्चों को रखना और नौकरी करना दोनों मुश्किल होता है। विभिन्न जगहों पर बने पालना घर उनके लिए वरदान साबित होगा। यहां पर बच्चों को खेलने और पढ़ने दोनों की व्यवस्था होगी। बताया गया कि पालना घर में छह महीने से लेकर पांच साल के बच्चों को रखने की सुविधा है। बच्चों की देखरेख के लिए एक क्रेच वर्कर और एक क्रेच हेल्पर हैं। बच्चों को खाना या दूध देना है, तो इंडक्शन और केटल की सुविधा भी है। पालना घर सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम 6:30 बजे तक खुले रहते हैं। छह महीने से एक साल के बच्चों के लिए क्रेच है, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए छोटा-सा बेड भी दिया गया है। इसमें कुल 10 बच्चों को एक साथ रखने की सुविधा है। पालना घर के दीवारों पर नंबर, अल्फाबेट से लेकर स्वर-व्यंजन अंकित किये गये हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं।



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