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सरायगढ़-भपटियाही : मुरली गांव में कर्ज माफी आंदोलन की हुई शुरुआत, दर्जनों परिवारों ने किया संकल्प यात्रा



सुपौल। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के मुरली गांव में रविवार को कर्ज से दबे दर्जनों परिवारों ने लोन माफी आंदोलन के तहत संकल्प सभा और संकल्प यात्रा में भाग लिया। इस दौरान सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक गरीबों के कर्ज माफ नहीं होते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलनकारी परिवारों ने सरकार से मांग की है कि गरीबों के कर्ज को जल्द से जल्द माफ किया जाए और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाई जाए। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

सभा को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि जब अंबानी-अडानी जैसे उद्योगपतियों के अरबों रुपये के कर्ज माफ हो सकते हैं, तो गरीब किसानों, मजदूरों और महिलाओं का कर्ज क्यों नहीं माफ किया जा रहा? मौजूदा केंद्र सरकार ने 22 बड़े उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन गरीबों की छोटी-छोटी ऋण राशियों को माफ करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही।

उन्होंने आरोप लगाया कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियां गरीबों का शोषण कर रही हैं और 12% से 36% तक ऊँची ब्याज दर वसूल रही हैं। उनके स्टाफ गरीबों से गाली-गलौज करते हैं और जबरन वसूली का दबाव डालते हैं, जबकि सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।

सभा में उपस्थित लोगों ने बताया कि गरीबों पर जबरन कर्ज वसूली के लिए दबाव डाला जाता है। यदि वे समय पर ऋण नहीं चुका पाते, तो उन्हें जेल में डालने, घर-जमीन की नीलामी करने और मवेशी-बकरी बेचकर कर्ज चुकाने की धमकियां दी जाती हैं। कई परिवार आर्थिक तंगी और मानसिक प्रताड़ना के कारण घर छोड़ने को मजबूर हैं, और आत्महत्या तक करने की नौबत आ रही है।

डॉ. कुमार ने कहा कि आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार कोई भी बैंक या फाइनेंस कंपनी का रिकवरी एजेंट ग्राहकों के साथ दुर्व्यवहार नहीं कर सकता, उन्हें धमकी नहीं दे सकता, और न ही सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा कर सकता है। फिर भी, कई फाइनेंस कंपनियों के स्टाफ रात 12 बजे तक फोन कर गाली-गलौज करते हैं, जो पूरी तरह से अवैध और अमानवीय है।

संकल्प सभा और यात्रा में मिथिलेश सादा, मुकेश यादव, राम नारायण साह, प्रदीप सादा, संगीता देवी, बद्री सादा, शंकर सादा, कविता देवी, छेदनी देवी, फूलो देवी, ममता देवी, शारदा देवी, कुसुम देवी, मुन्नी देवी, बुधनी देवी सहित दर्जनों लोग शामिल हुए।


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