सुपौल। जिलाधिकारी कौशल कुमार की अध्यक्षता में गठित जिला निरीक्षण समिति ने समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान और वृहद् आश्रय गृह में संचालित बाल गृहों का निरीक्षण किया। इस दौरान समिति ने संस्थानों में की गई व्यवस्थाओं की बारीकी से समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए।
शहर के वार्ड नंबर 04 पिपरा रोड स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में 6 वर्ष तक के अनाथ, बेसहारा एवं परित्यक्त बच्चों को सुरक्षित रखकर उनके पुनर्वासन का प्रयास किया जाता है। यदि उनके जैविक माता-पिता का पता नहीं चलता है, तो कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें नए परिवारों को गोद दिया जाता है। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद बच्चों को एक नया परिवार और सुरक्षित भविष्य मिल सके।
सुकुमारपुर स्थित वृहद् आश्रय गृह के अंतर्गत संचालित दो बाल गृहों का भी निरीक्षण किया गया। इन गृहों में 6 से 18 वर्ष तक के गुमशुदा, अनाथ, बेसहारा, बाल-श्रम से मुक्त कराए गए एवं देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों को रखा जाता है। इनमें से एक गृह को पूर्णिया से तथा दूसरे को सहरसा से स्थानांतरित किया गया है। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने इन गृहों की व्यवस्थाओं की सराहना की और कहा कि बच्चों की देखभाल, खान-पान, शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए।
बाल गृहों के संचालन के लिए कर्मियों की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जिलाधिकारी ने नए कर्मियों का शीघ्र पुलिस सत्यापन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, ताकि संस्थानों का संचालन और सुचारू रूप से हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक सप्ताह चिकित्सक और चिकित्सा-कर्मी बाल गृहों में आकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच करें।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि बाल गृहों में रह रहे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। उन्होंने जोर दिया कि इन बच्चों को उचित शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाए, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
इस निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन, पुलिस उपाधीक्षक, सहायक निदेशक (बाल संरक्षण), खाद्य संरक्षा पदाधिकारी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, रेड क्रॉस के प्रतिनिधि समेत जिला निरीक्षण समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
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