सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पूरब पंचायत के लक्ष्मीनियाँ गांव में गुरुवार से दो दिवसीय भव्य संतमत सत्संग का शुभारंभ हुआ। इस सत्संग कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय सत्संगी, आयोजन समिति एवं स्वागत समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसमें देशभर से आए संत महात्माओं का भव्य स्वागत किया गया।
सत्संग कार्यक्रम में महर्षि मेंहीं आश्रम कुप्पाघाट, भागलपुर एवं स्थानीय महर्षि मेंहीं आश्रम से पधारे संत महात्माओं ने शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य प्रवचनकर्ता पूज्य स्वामी परमानंद जी महाराज ने संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के जीवन एवं शिक्षाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अपने प्रवचन में स्वामी परमानंद जी ने कहा, “सत्संग का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार, आध्यात्मिक जागृति, सामुदायिक एकता और मानवता का कल्याण है।” उन्होंने बताया कि सत्संग के माध्यम से काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे दोषों का क्षय होता है और जीवन में नैतिकता, सेवा-भावना और ईश्वर भक्ति का विकास होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि – “अन्याय, झूठ, कपट व बेईमानी से अर्जित धन की इच्छा समाप्त हो जाती है और दुखियों की सेवा में मन लगने लगता है। गुरुओं की संगति, सत्य की संगति और शास्त्रों के अध्ययन से जीवन सार्थक होता है।”
सत्संग में सुबोध बाबा, दिवाकर बाबा, मानिक बाबा, रामदेव बाबा, किशोरानंद बाबा, सीताराम बाबा, आजाद बाबा एवं लक्ष्मण बाबा ने भी क्रमशः अपने प्रवचनों के माध्यम से मानव कल्याण, सेवा, भक्ति और सत्य मार्ग की ओर प्रेरित किया।
अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा के सदस्य एवं जिला सहायक मंत्री डॉ. अमन कुमार ने सभी संत महात्माओं का पुष्पगुच्छ एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में सत्संग की उपयोगिता पर बल देते हुए इसे समाज के नैतिक पुनरुत्थान का माध्यम बताया।
कार्यक्रम के आयोजन में राजेन्द्र मेहता, राजेश कुमार, बीरेंद्र यादव, नरेश जी, कृष्ण कुमार, हरे राम कुमार, राजो भगत, रामचन्द्र भगत, भगवान दत्त यादव, देवन सूतिहार, मनोज मेहता सहित अनेक श्रद्धालु व ग्रामवासी शामिल हुए। सभी ने संत महात्माओं को श्रद्धा से माल्यार्पण कर सम्मानित किया।
सत्संग में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और अमृतवाणी का लाभ उठाया। दो दिवसीय इस आयोजन के दूसरे दिन भी विविध प्रवचनों व भजन-कीर्तन का कार्यक्रम तय है।
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