- किसानों को वैज्ञानिक खेती, उन्नत बीज और जैविक कृषि को अपनाने की दी गई सलाह
सुपौल। प्रतापगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित ई-किसान भवन में गुरुवार को खरीफ महाअभियान 2025 के तहत प्रखंड स्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रतापगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों से बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुभाष प्रसाद, कृषि समन्वयक अरविंद कुमार चौधरी, सुभाष प्रसाद मरीक, सत्यनारायण प्रसाद, आत्मा प्रतिनिधि कमलेश्वरी मैड़ता, सूरजापुर पंचायत के मुखिया महानंद पासवान, 20 सूत्री सदस्य जवाहर यादव, उमानंद भिंडवार, राजेंद्र यादव, तथा विजय कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुभाष प्रसाद ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ किसानों तक तभी पहुंचेगा जब वे जागरूक होंगे। उन्होंने बताया कि हाइब्रिड धान बीज जिले में उपलब्ध कराया गया है और कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे हैं।
कृषि समन्वयक अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि खरीफ फसल में अच्छी पैदावार के लिए उन्नत बीज चयन, उर्वरक प्रबंधन, और जलवायु अनुरूप कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने परंपरागत खेती के साथ-साथ वैज्ञानिक और टिकाऊ खेती की वकालत की।
मुखिया महानंद पासवान ने खेतों की मिट्टी जांच को जरूरी बताया और कहा कि अंधाधुंध रासायनिक खाद का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने जैविक खेती को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि खेत बंजर न हों और उत्पादन स्थायी रूप से बढ़े।
कार्यशाला में सुभाष प्रसाद मरीक, सत्यनारायण प्रसाद, कमलेश्वरी मैड़ता, जवाहर यादव, महेंद्र यादव, राजेंद्र यादव, उमानंद भिंडवार, विजय कुमार चौधरी सहित अन्य ने भी कृषि सुधार और टिकाऊ खेती को लेकर विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर सहायक तकनीकी प्रबंधक दिवाकर प्रसाद शर्मा, लेखापाल रंजीत कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर प्रमंपपन कुमार, किसान सलाहकार नवल किशोर चौधरी, मनोज कुमार निराला, सुनील सिंह, नरेश कुमार, जयप्रकाश कुमार मंडल, रविंद्र कुमार मल्लिक, अशोक कुमार मेहता सहित कई किसान और कृषि विभाग के पदाधिकारी उपस्थित थे।
कार्यशाला में किसानों को कृषि संबंधित योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ने का प्रयास किया गया, ताकि वे अधिक उत्पादन कर आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।
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