सुपौल। जैन धर्म के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक काल चातुर्मास के शुभारंभ पर प्रतापगंज में जैन महिला मंडल की ओर से धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन सरोज छाजेड़ के निवास पर आयोजित हुआ, जिसमें सामायिक, जाप, स्वाध्याय और भजनों के माध्यम से आध्यात्मिक वातावरण की रचना की गई।
कार्यक्रम का नेतृत्व महिला मंडल की अध्यक्ष राखी सेठिया ने किया। उन्होंने चातुर्मास की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह अवधि जैन समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलती है। इस दौरान जैन साधु-संत एक ही स्थान पर प्रवास करते हुए उपवास, व्रत, ध्यान, मौन साधना जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों में लीन रहते हैं।
अध्यक्ष राखी सेठिया ने कहा कि इस चार महीने की अवधि को जैन धर्म में चौमासा भी कहा जाता है। इसी दौरान जैन समुदाय का प्रमुख पर्व पर्युषण भी मनाया जाता है, जिसमें महिला-पुरुष मिलकर आठ दिनों तक सामायिक, स्वाध्याय, जप, तप और भजन आदि करते हैं।
उन्होंने कहा कि चातुर्मास के दौरान जैन धर्मावलंबियों को कटु वचन, क्रोध और भोग-विलास से दूर रहना चाहिए और आत्मचिंतन व भक्ति में समय देना चाहिए।
इस अवसर पर महिला मंडल की झंकार देवी घोडावत, पदमा नौलखा, प्रभा नौलखा, संजू छाजेड़, प्रतिमा छाजेड़, वंदना सेठिया, किरण घोडावत, मंजू गंग, पूर्णिमा पांडे और सरोज छाजेड़ सहित कई महिलाएं उपस्थित रहीं और कार्यक्रम को सफल बनाया।
चातुर्मास के आरंभ के साथ ही जैन समुदाय में चार महीने तक चलने वाले धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला शुरू हो गई है।
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