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ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का अद्भुत संगम है भागवत कथा : अनन्या शर्मा


  •  गांधी मैदान में श्रीमद्भागवत कथा का हुआ दिव्य शुभारंभ

सुपौल। गणेश महोत्सव के शुभ अवसर पर गांधी मैदान में गुरुवार को श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल पदाधिकारी इंद्रवीर कुमार, मुख्य पार्षद राघवेंद्र झा राघव, नागेंद्र नारायण ठाकुर, धर्मेंद्र सिंह पप्पु, ललिता जायसवाल, जगरनाथ चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।

प्रथम दिवस की कथा का वाचन मध्यप्रदेश के सिवनी मालवा से पधारीं प्रसिद्ध कथा व्यास अनन्या शर्मा ने किया। उन्होंने श्रोताओं को भागवत महापुराण के महत्व का संदेश देते हुए कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है, और कलयुग में श्रीमद्भागवत का श्रवण ही मोक्ष का सरल साधन है।

कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत को केवल पुराण कथा नहीं, बल्कि ज्ञान यज्ञ कहा गया है, क्योंकि इसमें ज्ञान, भक्ति और वैराग्य तीनों का अद्भुत समन्वय है। सात दिवसीय कथा आयोजन के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई सात दिन तक कथा श्रवण करता है, तो उसके जीवन-मरण के हर पल में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

श्रीमद्भागवत में वर्णित श्रीकृष्ण और उद्धव संवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि जब भगवान धाम जाने वाले थे, तब उन्होंने कहा था कि कलयुग में वे शब्द स्वरूप में श्रीमद्भागवत ग्रंथ में सदैव विद्यमान रहेंगे और इसका श्रवण करने से ही जीव का कल्याण होगा।

अनन्या शर्मा ने प्रथम श्लोक की व्याख्या करते हुए भगवान के सच्चिदानंद स्वरूप का रहस्य उजागर किया और शुकदेव महाराज के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “पानी पियो छानकर और गुरु बनाओ जानकर।”

कथा के दौरान धुंधकारी की कथा का उदाहरण देते हुए उन्होंने माता-पिता से बच्चों को बाल्यकाल से ही अच्छे संस्कार देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अत्यधिक लाड़-प्यार बच्चों को गलत दिशा में ले जा सकता है।

अंत में उन्होंने स्पष्ट किया कि कलयुग में ज्ञान और वैराग्य का प्रभाव भले ही कम हो, लेकिन भक्ति का प्रभाव सबसे अधिक रहेगा। यही कारण है कि कहा गया है – “कलियुग केवल नाम आधार।”

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