सुपौल। राष्ट्रीय युवा महासंघ द्वारा सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। संगठन के सचिव सिंटू कुमार मेहता ने अपने पिता स्व. महेंद्र मेहता के निधन पर परंपरागत मृत्यु भोज का बहिष्कार कर मानगंज पूरब पंचायत वार्ड संख्या-02 में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, जिससे समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महासंघ के अध्यक्ष ई. एलके निराला ने की। उन्होंने मृत्यु भोज को सामाजिक अभिशाप बताते हुए कहा कि अपने परिवार में इस प्रथा का बहिष्कार कर उन्होंने समाज को जागरूक करने की पहल की है और उम्मीद है कि लोग इस आर्थिक अपव्यय से मुक्त होकर नई सोच अपनाएंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत बौद्ध वंदना से हुई। दिवंगत आत्मा की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया, दीप प्रज्वलन किया गया और पुष्पांजलि अर्पित की गई। मुख्य वक्ता मुखिया संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि शोक की घड़ी में भोजन करवाना उचित नहीं है और मृत्यु भोज पर होने वाला खर्च समाज पर बोझ बन चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस राशि को सामाजिक कार्यों में लगाया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय युवा महासंघ के मार्गदर्शक दिलीप कुमार यादव ने कहा कि मृत्यु भोज की वजह से कई परिवार कर्ज में डूब जाते हैं। सेवानिवृत्त शिक्षक जागेश्वर वर्मा ने इस प्रथा को खत्म करने के लिए एकजुट जन आंदोलन की जरूरत बताई और महर्षि दयानंद सरस्वती के सामाजिक सुधारों का उल्लेख किया। युवा समाजसेवी कृष्णा राज ने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से इस अभियान से जुड़े हैं और लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
श्रद्धांजलि सभा में अनिल पासवान, रूपेश मेहता, शंकर कुमार, राकेश कुमार, सुनील कुमार, सुजीत कुमार, नितीश कुमार, अमोद कुमार आनंद, हरेराम भगत, शंभू सादा सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि मृत्यु भोज जैसी गहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए समाज को संगठित होकर प्रयास करना होगा और श्रद्धांजलि सभा जैसे वैकल्पिक आयोजन ही इसके प्रभावी विकल्प बन सकते हैं।
मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे, जिनमें सज्जन कुमार, ब्रजेश कुमार रजक, महेश मेहता, मनोज राय, सियाराम मेहता, विजय मेहता, राजकुमार वर्मा, संदीप मेहता, बाबूल, पंकज साह और जय नारायण ऋषिदेव शामिल थे।
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