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सुख- समृद्धि के लिए मनाया गया कोजागरा व लक्खी पूजा

  • नवविवाहितों के घर पहली बार कोजागरा धूमधाम से की गई
  • कोसी सहित मिथिला में इस पर्व का विशेष महत्व,मां लक्ष्मी को लगा भोग
  • लक्ष्मी पूजा करने से घर में लक्ष्मी का होता है वास, अधिकांश बंगाली लोग करते हैं लक्खी पूजा

पंडित ललित नारायण झा

अररिया । सुख-समृद्धि के लिए मनाए जाने वाले पर्व कोजागरा व लक्खी पूजा रविवार को धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व में मधुर व मखान का विशेष महत्व होता है।नवविवाहितों के घर पहली बार यह पूजा विशेष धूमधाम से की जाती है.वही कई घरों में सुख-समृद्धि की देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। कोजागरा नवविवाहिताओं के रागात्मक जीवन के शुरूआत का त्योहार है। इसे हर साल आश्रि्वन पूर्णिमा की रात मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजा के दृष्टिकोण से भी यह पर्व महत्वपूर्ण है। कोसी सहित मिथिला में इस पर्व का विशेष महत्व है.शादी के पहले साल नवविवाहितों के घर लड़की पक्ष की ओर से मधुर, मखान, पान आदि आता है. साथ ही वर पक्ष के लोगों के लिए वस्त्र भी देने की परंपरा है. संध्या समय कोजागरा पूजन किया गया। जिसमें आसपास के लोगों को बुलाया गया .पूजा उपरांत लोगों के बीच मधुर मखान का वितरण किया गया।

नवविवाहिता वर के घर भार लाने का है परंपरा

सहारा समिति दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित ललित नारायण झा बताते हैं कि कोजगरा के अवसर पर महालक्ष्मी की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। कोजागरा की रात जुआ व ताश खेलने की परंपरा भी वर्षो से चली आ रही है। नवविवाहित वर को भार लेकर आने वाले अपने साला के साथ कौड़ी-पचीसी खेलने की विधि भी पूरी करनी पड़ती है।

अखंड दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा

पंडित ललित नारायण झा ने बताया कि लक्खी पूजा को लेकर घर की महिलाएं परिवार में धनधान्य व खुशहाली के साथ-साथ मंगलकामना के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन रात भर जगने की प्रथा है. रात भर अखंड दीप जलाते हैं। कहते हैं कि इस दिन पूजा की ज्योत बुझनी नहीं चाहिए। इसलिए लोग रात भर जागते हैं.लक्खी पूजा की खास बात यह होती है कि मां लक्ष्मी के हाथ में धान की बालियां होती हैं। मां लक्ष्मी को धान अर्पित किया जाता है, ताकि घर में अन्न का भंडार सदैव भरा रहे। किसान परिवार मां से कहते हैं कि उनकी फसल में बरक्कत हो। मां लक्खी को विभिन्न तरह के भोग चढ़ाये जाते हैं।


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