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मनुष्य जन्म प्राप्त करने वाले मृत्यु के पहले उस द्वार का पता कर लें तो कभी और कहीं भी किसी तरह की नहीं होगी हानि

  • सदर प्रखंड के करिहो में संतमत सत्संग का हुआ आयोजन

सुपौल। सदर प्रखंड के करिहो में आयोजित जिला संतमत सत्संग के विशेषाधिवेशन के दूसरे दिन सोमवार को महर्षि मेहीं धाम मणियारपुर बांका से पधारे आचार्य चतुरानंद जी महाराज, स्वामी प्रेमानंद, स्वामी लालानंद, स्वामी भगवतानंद एवं अन्य क्षेत्रीय महात्माओं ने प्रवचन दिया। प्रात:कालीन सत्संग में महात्माओं ने ईश्वर स्वरूप और उसकी प्राप्ति की जानकारी दी। कहा कि ईश्वर एक है। ईश्वर तक जाने का रास्ता भी एक है। अपराह्नकालीन सत्संग में रामचरित मानस के उत्तर कांड से भगवान श्रीराम के उपदेश को सुनाया। कहा कि रामजी मर्यादा पुरूषोत्तम है। संसार में चौरासी लाख योनियों में मनुष्य शरीर सर्वश्रेष्ठ, देव दुर्लभ है। चाहे वह अंधा, लंगड़ा, बहरा, निर्धन, अनपढ़ ही क्यों न हो। सभी मनुष्यों के शरीर में दुखों से बचने के लिये मोक्ष का मार्ग है।

  मनुष्य जन्म प्राप्त करने वालों को चाहिये कि मृत्यु के पहले उस द्वार का पता कर लें तो कभी कहीं भी किसी तरह की हानि नहीं होगी। कहा कि श्रीराम को चिंता है कि सारी प्रजा साधना करके मुक्त हो जायें नहीं तो परलोक में बहुत कष्ट भोगना पड़ेगा। कहा कि सभी मनुष्य वर्तमान में दुखी है। मृत्यु के बाद भी दुखी रहेंगे। इसलिये संतों से मुक्ति जान कर अभ्यास करने में लग जाय। स्वामी प्रेमानंद, स्वामी लालानंद, स्वामी भगवतानंद ने श्रोताओं को रामायण, गीता, वेद, उपनिषद एवं अन्य संतवाणियों को सरलता से समझाया।


 संतों ने कहा कि योगी बनने से ही हमारा परम कल्याण होगा। योगी बनने का मतलब कोई बाहरी भेष-भूषा, क्रियाकलाप से नहीं है। कोई भी खेती, दुकानदारी नौकरी करते हुए अपने गृहस्थी को चलाते हुए भी योगी बन सकते हैं। ज्यादा संत गृहस्थाश्रम में ही हुए हैं। इसलिये कोई भी घबराए नहीं। केवल गुरूदेव से युक्ति जान कर नियम पूर्वक त्रयकाल संध्या करें। कार्यक्रम के सफल संचालन में स्वागत समिति के सदस्य कामता प्रसाद गुप्ता, सूर्य नारायण दिनकर, आनंद पाठक, अशोक पासवान, रामदेव कामत, जनार्दन यादव, हरि मंडल, छोटेलाल, सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता, सुभाष साह, कोकाय साह, सत्य नारायण साह, रामनंदन साह, गुरुदेव गुप्ता, रामदेव मंडल, श्री प्रसाद मंडल, सत्यनारायण शर्मा, लक्ष्मण चौधरी, राज किशोर साह, भूषण साह, जय प्रकाशमंडल, रामचंद्र साह आदि जुटे थे। 


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