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सरायगढ़-भपटियाही : कोशी के स्थायी निदान पर शोध के लिये अमेरिका से पहुंचे वैज्ञानिक, सीपेज इलाकों का लिया जायजा

सुपौल। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के कोसी पूर्वी तटबंध के भीतर हजारों एकड़ बंजर भूमि एवं सीपेज से ग्रसित क्षेत्र का जायजा लेने मंगलवार को बोस्टन यूनिवर्सिटी अमेरिका के जल विशेषज्ञ प्रो ए पॉल कृष्णा ,यूएसए के प्रो विशाल वर्मा, गुजरात इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रो विक्रांत जैन ने पहुंचकर स्थल का निरीक्षण किया। जहां स्थानीय ग्रामीणों से विस्तार पूर्वक जानकारी ली। जल विशेषज्ञ प्रो ए पॉल कृष्णा, प्रो विशाल वर्मा एवं प्रो विक्रांत जैन ने बताया कि फिलहाल कोसी पूर्वी तटबंध के किनारे सीपेज एवं बंजर भूमि को लेकर ग्रामीणों से जानकारी ली गई। इसके स्थायी निदान को लेकर अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अध्ययन के बाद इसके स्थायी निदान को लेकर विभाग को अवगत कराया जाएगा। हालांकि अमेरिका से आए जल विशेषज्ञ ने स्थानीय ग्रामीणों से सीपेज एवं बंजर भूमि को लेकर इसके निदान के बारे में बारीकी से जानकारी ली। कोसी नदी के बहाव को भी देखा।



 ग्रामीणों ने जल विशेषज्ञ से इसके स्थायी निदान की मांग की है। लोगों ने बताया कि हम लोगों की सबसे बड़ी समस्या सीपेज और बंजर भूमि है। जो कोशी बैराज से लेकर सहरसा के नवहट्टा तक सीपेज के कारण हजारों एकड़ भूमि बंजर बना हुआ है। लोगों का जमीन सीपेज एरिया से घिरा हुआ है। जिस होकर कोशी नदी के सीपेज का पानी बह रहा है। खेतों में बड़े-बड़े जलकुंभी भी उग आए हैं। जिस कारण लोगों का खेतीबाड़ी चौपट हो गया है। यहां के किसान सिर्फ खेती बाड़ी कर अपना गुजर बसर करते हैं। पहले खेती होता था। वह सब सीपेज के कारण भूमि बंजर बना चुका है। लोगों का सभी भूमि कोसी नदी में समा चुका है। फसल नहीं होने के कारण लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। किसान रोजी रोजगार की तलाश में बाहर रहकर अपने परिवारों का गुजर बसर करने को मजबूर है। किसान गुंदेश्वरी प्रसाद मेहता, मुकेश कुमार मेहता, सत्यदेव प्रसाद यादव, विजेंद्र प्रसाद यादव, अरविंद कुमार मेहता, अशोक कुमार, सहदेव मेहता, राजकुमार मेहता, घोघन राम सहित अन्य लोगों ने बताया कि कोसी नदी एवं सीपेज एरिया से ग्रसित बंजर भूमि का स्थायी निदान होगा तो हमलोगों का जमीन एक बार फिर उपजाऊ साबित होगा। उन लोगों का कहना है कि सीपेज के कारण हम लोगों का सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि बंजर एवं जलकुंभी उग गए हैं। जिस कारण खेतीबाड़ी नहीं हो पता है। लोग बाहर रहकर अपना गुजर बसर करते हैं। लोगों ने जल विशेषज्ञ को यह भी बताया कि अगर कोसी नदी में जमा गाद एवं सिल्ट को निकालकर सीपेज एरिया में भर दिया जाएगा। एरिया भी ऊंचा हो जाएगा और भूमि भी उपजाऊ हो जाएगा। कोसी नदी में एक डैम बनाकर पानी की निकासी कर देने से कोसी नदी में समाये हजारों एकड़ भूमि लोगों को एक बार फिर खेती लायक हो जाएगा। इस पर अमेरिका से आए जल विशेषज्ञ ने आश्वासन दिया कि इसकी गहनता पूर्वक रिसर्च की जाएगी। विभाग को अवगत कराया जाएगा। जल विशेषज्ञ के पहुंचने से आसपास के ग्रामीणों में खुशी देखी गई। इस मौके पर वैसा, नोनपार ,सिमरी, सदानंदपुर,लौकहा, गोपालपुर,भपटियाही, कल्याणपुर सहित अन्य गांवों के दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे। 


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