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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की उड़ रही धज्जियां, हाथ की सफाई वाले बने हैं डॉक्टर

  •  सोशल‌ साइट्स पर प्रचार-प्रसार कर शल्यक्रिया तक दावा, विभाग को पता नहीं 
सुपौल। जिले में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है और स्वास्थ्य महकमा सबकुछ जानकर भी अनजान बना है। कागजों में कार्रवाई की लकीरें खींच कर आमलोगों के जान से खिलवाड़ हो रहा है बावजूद सीधी कार्रवाई नहीं हो रही है। जिले भर में जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह निजी नर्सिंग होम में हाथ की सफाई वाले नामी गिरामी चिकित्सक का बोर्ड लगा चीर-फाड़ के कारनामे को अंजाम दे रहे हैं तो अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर, जांच घर व एक्स-रे सेंटर की भरमार है। इतना ही नहीं गली कूचों तक में निजी अस्पताल खोलकर बड़े-बड़े बोर्ड लगा मरीजों के जान से खिलवाड़ हो रहा है तो आर्थिक दोहन की इबारत लिखी जा रही‌ है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व यूट्यूब चैनलों पर प्रचार प्रसार कर शल्यक्रिया तक का दावा किया जाता है, बावजूद महकमा के पदाधिकारी को पता नहीं चलता। लेकिन जब हर साल अदालतों के सीडब्ल्यूजेसी का हवाला देकर कार्रवाई की बातें सामने आती है तो पत्राचार कर वैधता प्रमाणित करने को कहा जाता है। लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई ठंडे बस्ते में गुम हो जाता है। हद तो तब हो जाती है जब सरेआम ऐसे निजी अस्पतालों का धड़ल्ले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रचार प्रसार किया जाता है और‌ विभाग के कानों पर जूं नहीं रेंगती। जब किसी ऐसे अस्पताल में मरीज की मौत पर हंगामा होता है तो विभाग की तंद्रा भंग होती है और फिर जांच के नाम पर समय जाया कर मामला सलट जाता है। बतौर उदाहरण सिर्फ छातापुर प्रखंड मुख्यालय की बात करें तो केवल बाजार क्षेत्र में ही दर्जन भर निजी अस्पताल संचालित हैं जिनकी वैधता पर सवाल खड़े होते रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में जब लापरवाही के कारण हाथ की सफाई में चूक के कारण मरीज काल कलवित हो जाते हैं तो आपसी तालमेल के पैमाने पर सबकुछ निबट जाता है। हाल ही में जिला पदाधिकारी ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला स्तर से लेकर अनुमंडल व प्रखंड लेवल तक के लिए धावा दल का गठन किया था। लेकिन हैरानी की बात है कि धावा दल की एक भी सीधी कार्रवाई छातापुर में दृष्टिगत नहीं हो पाई है।
    सूत्र बताते हैं कि गत माह 20 तारीख को अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा झखाड़गढ-लालगंज सीमा पर संचालित एक निजी अस्पताल के जायजा की सूचना लीक हुई। लेकिन चंद दिनों के शटर डाउन के बाद सबकुछ पुराने ढर्रे पर लौट आया। ऐसे में प्रखंड स्तरीय धावा दल के कार्रवाई की तो बातें ही बेमानी हो जाती है। सूत्रों की मानें तो छातापुर बाजार में एस एच-91 के किनारे ही नर्सिंग होम की भरमार है। वहीं चुन्नी वार्ड नंबर एक में बस्ती के बीच बड़े अस्पताल का संचालन हो रहा है। ऐसे अस्पतालों की वैधता संदेह के घेरे में है तो फर्जी चिकित्सक एमबीबीएस का बोर्ड लगाए बैठे हैं। बावजूद विभाग न तो चिकित्सकों की प्रमाणिकता जांच रहा और ना ही ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध ठोस कदम उठाई जा रही है।

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