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त्रिवेणीगंज : राष्ट्र के विकास में महिलाओं की भूमिका अहम : प्राचार्य

  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एएलवाय कॉलेज में संगोष्ठी एवं जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

सुपौल। राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय, तृतीय इकाई अनूपलाल यादव महाविद्यालय त्रिवेणीगंज के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जयदेव प्रसाद यादव की अध्यक्षता में एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी प्रो विद्यानंद यादव के संचालन में संगोष्ठी एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते प्राचार्य डॉ यादव ने बताया कि महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य प्रत्येक वर्ष 08 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। रूढ़िवादिता और भेदभाव दो मुख्य कारक महिलाओं के सर्वांगीण विकास में बहुत बड़ा बाधक है। महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा और उनके अधिकार का ज्ञान आवश्यक है। संपूर्ण संसार को यह समझना चाहिए कि राष्ट्र के विकास में महिलाओं का अहम भूमिका है। किसी भी दृष्टिकोण से पुरुषों से महिलाएं कम नहीं है।


 कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो यादव ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का बीज 1908 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में महिलाओं की एक श्रम आंदोलन से पड़ा। जहां 15 हजार महिल श्रम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन देने, वोट देने का अधिकार की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर प्रदर्शन की। 1910 ईस्वी में क्लारा जेटकिन नाम की महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ वर्किंग विमेन में दी। तत्पश्चात 1911 ईस्वी में सर्वप्रथम ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसका शताब्दी आयोजन 2011 में मनाया गया। इस दृष्टिकोण से 2024 में 113 वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक 08 मार्च 1917 में रूस की महिलाओं ने रोटी और शांति की मांग के साथ चार दिनों का विरोध प्रदर्शन किया। जिस कारण से तत्कालीन रूसी जार को सत्ता त्यागने पड़ी और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी दिया। इस कारण से 08 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। 1908 में ब्रिटेन की डब्ल्यू एस पी यू अर्थात विमेंस सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को प्रदर्शित करने वाले तीन रंग बैगनी हरा और सफेद निर्धारित किए। जिसमें बैगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है। हरा रंग उम्मीद का प्रतीक एवं सफेद रंग शुद्धता का सूचक माना जाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1975 में अधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत किया गया। 1996 ईस्वी में पहली बार संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस थीम के साथ मनाने का शुरुआत किया गया। वर्तमान महिला दिवस का थीम है महिलाओं में निवेश प्रगति में तेजी लाए जिसका उद्देश्य आर्थिक अशक्तता से निपटना है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय इंस्पायर इंक्लूजन रखा गया है। इस अभियान का विषय लैंगिक समानता हासिल करने में समावेश की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना है। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सदानंद यादव, तृतीय इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो शंभू यादव, प्रो कुलानंद यादव, गगन कुमार, दिग्दर्शन, एनएसएस स्वयंसेवक शिल्पी ज्योति, श्वेता जैन, चुनचुन कुमारी, चांदनी कुमारी, प्रिया राज, अंजली कुमारी, काजल कुमारी, आकांक्षा कुमारी, दीक्षा कुमारी, खुशबू कुमारी, निशा भारती, सोनी कुमारी, रिया कुमारी, आरती कुमारी तथा अन्य उपस्थित थे। 



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