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विकसित हो रहे वन क्षेत्र टीले के समीप अवैध खनन का दौर जारी, सुरसर नदी का बदल रहा स्वरूप

  • भीमपुर से लेकर घीवहा तक ट्रैक्टर से बेचे जा रहे मिट्टी व रेत, सरकार को हो रही राजस्व की क्षति

सुपौल। जिले के कई पंचायतों से प्रवाहित सुरसर नदी से अवैध‌ खनन का खेल बदस्तूर जारी है। पंचायत दर पंचायत जेसीबी व मजदूरों के जरिये सैंकड़ों ट्रैक्टर से बालू व मिट्टी का खनन कर बेचने का अवैध कारोबार परवान चढ़ रहा है। अवैध कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। वहीं सरकार को राजस्व की क्षति पहुंच रही है।


सूत्रों की मानें तो इस अवैध खनन के खेल में स्थानीय जिम्मेदारों ने ऐसे आंखों पर पट्टी बांध रखी है कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं। लेकिन हकीकत है कि सिस्टम पूरी तरह सेट है। कहीं पोखर निर्माण के नाम पर हजारों ट्रैक्टर व‌ हाइवा से रेत खनन‌ कर मैटेरियल सप्लायर के हाथों बिक गया। वहीं भीमपुर, माधोपुर, रामपुर, झखाड़गढ, चुन्नी, डहरिया, घीवहा आदि पंचायतों में दैनिक अवैध खनन का सिलसिला जारी रखकर नदी के स्वरूप से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं पर्यावरण की भी‌ अनदेखी की जा रही है। नदी के तटबंध की हालत पहले से दयनीय बनी हुई है। जबकि तटबंध के भीतर की खाली भूमि पर अतिक्रमण का दौर जारी है। जानकार बताते हैं कि सुरसर नदी की धारा पहले से अलग स्वरूप में प्रवाहित है और इसका खालिस लाभ मुआवजा लेने वाले रैयत उठा रहे हैं। भीतर की सैंकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि पर खेती कर तब मालामाल हुआ जा रहा है जबकि तटबंध निर्माण के समय ही मुआवजे का निदान हो चुका है।

चुन्नी-झखाड़गढ की सीमा पर वन विभाग का वन क्षेत्र आधे से अधिक लकड़कट्टों का निवाला बन चुका है। वहीं हाल के दिनों में एक बार फिर जेसीबी के सहारे मिट्टी के टीले खड़े किए जा रहे हैं जहां वन क्षेत्र डेवलप किया जा रहा है। ऐसे में जहां वन क्षेत्र विकसित करने पर कार्य चल रहा है उसी जगह अवैध खनन का दौर जारी है।

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