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8वीं बेसिक रिक्रूट ट्रेनिंग कोर्स का हुआ भव्य दीक्षांत समारोह, 56 नव आरक्षी राष्ट्र सेवा को हुए समर्पित



सुपौल। सशस्त्र सीमा बल के रिक्रूट प्रशिक्षण केंद्र, सुपौल में शनिवार को 8वीं बेसिक रिक्रूट ट्रेनिंग कोर्स का दीक्षांत समारोह भव्य रूप से आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय रहे, जिन्होंने परेड की सलामी ली और बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जवानों को सम्मानित किया।

इस अवसर पर कुल 206 प्रशिक्षुओं ने परेड में भाग लिया, जिसमें से 56 नव आरक्षियों को सीमा सुरक्षा के लिए पूर्णतः तैयार घोषित किया गया। समारोह की शुरुआत शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पण के साथ हुई, जिसमें बलिदान देने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी गई।

मुख्य अतिथि नित्यानंद राय ने परेड का निरीक्षण करते हुए कहा कि एसएसबी सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा, शांति स्थापना और मानवीय सेवाओं में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने नव आरक्षियों से राष्ट्र सेवा में निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने का आह्वान किया।

इस दौरान SSB के महानिदेशक अमृत मोहन प्रसाद, सीमांत मुख्यालय पटना के महानिरीक्षक रत्न संजय, आरटीसी सुपौल के उप महानिरीक्षक संजय कुमार शर्मा, एडीएम राशिद कलीम अंसारी, एसपी शैशव यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र ऋषिदेव, रामकुमार राय, रामप्रवेश यादव सहित कई प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, नागरिक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

मुख्य परेड में निशान टुकड़ी के नेतृत्व में नव आरक्षियों ने राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ ली। इसके उपरांत मार्च पास्ट, मलखंभ, वोल्टिंग हॉर्स, पिटी परेड और बेनेट फाइटिंग जैसे युद्ध-कौशल प्रदर्शन ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कलात्मक युद्ध-कला ने समारोह को विशेष बना दिया।

नित्यानंद राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में चल रहे कार्यों की सराहना की और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए तीनों सेनाओं के साहस व शौर्य को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज भारत की सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और मजबूत हैं।

SSB महानिदेशक अमृत मोहन प्रसाद ने बल की गौरवशाली परंपराओं की चर्चा करते हुए प्रशिक्षुओं को सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों से सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की प्रेरणा दी। यह आयोजन सुपौल और सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, खासकर युवाओं में राष्ट्रसेवा की भावना को जागृत करने में यह दीक्षांत समारोह अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

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