सुपौल। छातापुर प्रखंड अंतर्गत ललितग्राम में ऋणी परिवारों की ओर से जनसंवाद एवं न्याय यात्रा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान सैकड़ों ऋणी परिवारों ने खुलकर अपनी पीड़ा, शोषण और प्रताड़ना की कहानियां साझा कीं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि लोन से जकड़े परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। किसान, मजदूर, बेरोजगार युवा, छात्र-छात्राएं और महिलाएं ब्याज सहित लोन चुकाने में पूरी तरह लाचार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अमीर उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर रही है, जबकि गरीबों के घर-जमीन नीलाम किए जा रहे हैं।
डॉ. कुमार ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियां आरबीआई की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रही हैं। उनके रिकवरी एजेंट गरीब परिवारों को प्रताड़ित कर घर छोड़ने तक को मजबूर कर रहे हैं। कई परिवार आत्महत्या कर चुके हैं और हजारों लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर उद्योगपतियों का 25 लाख करोड़ रुपये माफ हो सकता है, तो गरीब किसानों और महिलाओं का कर्ज क्यों नहीं?
कार्यक्रम में यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठा कि समूह लोन पर 12 से 52 प्रतिशत तक ब्याज वसूला जा रहा है, जिसे चुकाना लगभग असंभव है। इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं और उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व शारीरिक-मानसिक विकास पर पड़ रहा है।
डॉ. कुमार ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या पार्टी के पक्ष या विरोध का आंदोलन नहीं है, बल्कि गरीबों के हक की लड़ाई है। उन्होंने मांग की कि किसानों का केसीसी ऋण, महिलाओं का समूह ऋण, छात्रों का शिक्षा ऋण तथा बेरोजगार युवाओं और गरीबों का सभी प्रकार का ऋण तुरंत माफ किया जाए।
जनसंवाद में संतोष गुप्ता, मोहम्मद जाकिर, कृष्ण देव ठाकुर, बृजेश कुमार, मो. फिरोज समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों और महिलाओं (पारो देवी, रेखा देवी, रवीना खातून, फूलो देवी, लक्ष्मी देवी, सुलेखा देवी, प्रभा देवी, आशा देवी, निक्की देवी, मुन्नी देवी आदि) ने सक्रिय भागीदारी निभाई और ऋण माफी आंदोलन को समर्थन दिया।
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