सुपौल। शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर रविवार को मां भगवती के षष्ठम स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना क्षेत्र में पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से की गई। करजाईन बाजार स्थित दुर्गा मंदिर सहित गोसपुर, बौराहा, परमानंदपुर और मोतीपुर के मंदिरों में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र और विद्वतजनों की वेद ध्वनि एवं दुर्गासप्तशती पाठ से वातावरण भक्तिमय बना रहा। अपराह्न बेला में बेलनोती की परंपरा भी संपन्न हुई।
आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि सोमवार को नवरात्र की सप्तमी तिथि पर मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा-अर्चना की जाएगी। देवी कालरात्रि काल का नाश करने वाली शक्ति मानी जाती हैं। इनका स्वरूप भयंकर होने के बावजूद ये सदैव शुभ फल देने वाली देवी हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है।
पंडित मिश्र ने कहा कि देवी कालरात्रि का शरीर घने अंधकार के समान काला है, बिखरे हुए केश और तीन नेत्रों से विद्युत के समान चमकती किरणें निकलती रहती हैं। इनकी आराधना से साधक को भय और आतंक से मुक्ति मिलती है। दैत्य, दानव, राक्षस, भूत-प्रेत इनका नाम स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं।
उन्होंने बताया कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले साधक को अग्नि, जल, वायु, आकाश और जंतु भय का कभी सामना नहीं करना पड़ता। देवी की कृपा से भक्त सर्वथा भयमुक्त हो जाता है। इनका वाहन गर्दभ है। साधना के दौरान साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) पर स्थिर कर ध्यान करना चाहिए, जिससे उसे स्वतः ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
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