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छातापुर - 44 माह से पारिश्रमिक भुगतान नहीं करने का आरोप लगा महिला ने श्रमाधीक्षक से लगाई गुहार

  • महिला का छातापुर प्रखंड के घीवहा पंचायत में सफाई कर्मी के तौर पर कार्य करने का दावा, मुखिया बोले- आरोप बेबुनियाद

सुपौल। छातापुर प्रखंड के घीवहा पंचायत सरकार भवन में सफाई कर्मी के तौर पर 44 माह तक काम करने का दावा करती एक महिला ने स्थानीय मुखिया पर पारिश्रमिक नहीं देने का आरोप लगाया है। महिला ने स्थानीय मुखिया के द्वारा 1500 रुपये प्रतिमाह की दर पर पंचायत सरकार भवन की साफ सफाई कार्य पर रखने और 44 माह तक लगातार काम कराने के बाद कार्य मुक्त कर देने का आरोप लगाते हुए श्रमाधीक्षक के पास गुहार लगाया है। 

दिए आवेदन में आवेदिका अड़हुलिया देवी ने बताया है कि वह घीवहा वार्ड नंबर चार की निवासी है। वर्ष 2019 में पंचायत के मुखिया गजेन्द्र राम के द्वारा उसे 1500 रुपये प्रतिमाह पारिश्रमिक देने की बात कह कर पंचायत सरकार भवन के सफाई कार्य पर रखा गया था। कहा कि 44 माह तक काम करने के बाद उनका पारिश्रमिक कुल 66000/- रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा है। बताया है कि 27 अगस्त 2022 को कार्य करने के दौरान उन्हें मुखिया और लेखापाल के द्वारा रेवेन्यू टिकट लाने के लिए भेजा गया। सड़क पार करने के क्रम में वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई और बाइक की टक्कर से वह गंभीर रूप से जख्मी होकर तीन माह तक इलाजरत रही। बताया है कि उनके उपचार में तकरीबन ढाई लाख रुपए खर्च हुए लेकिन मुखिया जी ने उन्हें रुपए नहीं दिए। शिकायत करने पर मुखिया ने एक हजार रुपए यह कहकर भिजवाया कि शिकायत वापस ले लो, मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा। अपनी गरीबी का हवाला देते हुए आवेदिका ने कहा है कि अभी भी उनका 65 हजार रुपए बकाया है जो नहीं दे रहे और काम पर भी किसी अन्य को रख लिया गया है। 

आवेदिका ने श्रमाधीक्षक से न्याय की गुहार लगाते हुए बकाया राशि दिलवाने‌ की मांग की है। इधर, मामले में श्रम कार्यालय से सभी संबंधितों को नोटिस जारी की गई और पहली सुनवाई बीते 06 अक्टूबर को हो चुकी है। महिला ने बताया कि पहली सुनवाई के दिन मुखिया चंद वार्ड सदस्यों के साथ हाजिर हुए और उनके दावे को ही झूठा बताया। मामले में पूछने पर मुखिया गजेन्द्र राम ने बताया कि महिला का आरोप बेबुनियाद है। पंचायत सरकार भवन में सफाई कर्मी का पद सृजित नहीं है। कर्मी के कहने पर महिला सफाई कार्य कर रही थी। हालांकि संदर्भ में बीडीओ व तात्कालीन एसडीएम से भी राय ली गई थी। लेकिन तब के एसडीएम कार्य से संतुष्ट नहीं थे। बताया गया कि पंचायत सरकार भवन में सफाई कर्मी के बहाली का प्रावधान नहीं है, इसके बाद मैंने मना कर दिया।

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