सुपौल। दुर्गा अष्टमी के मौके पर सुबह से ही माता के मंदिरों में श्रद्धालु माता जगदम्बा का दर्शन एवं पूजन के लिए पहुंचे। जिले के सभी जगहों पर स्थित दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। वहीं करजाईन दुर्गा मंदिर में आचार्य पंडित धर्मेन्द्रनाथ मिश्र पूर्ण वैदिक रीति-रिवाज से माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना में जुटे रहे। विद्धानों के श्लोक व दुर्गा सप्तशती के पाठ से माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना गया है। माता दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं के पूजन के बाद श्रद्धालु कन्या पूजन में भी जुटे हुए हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के अंत में कन्या पूजन का महत्व है। इसके बिना नवरात्र व्रत अधूरा माना जाता है।
आज होगी सिद्धिदात्री की पूजा
जगत जननी जगदम्बा आदि शक्ति श्री दुर्गा का नवम रूपांतर श्री सिद्धिदात्री है। ये समस्त प्रकार की सिद्धियों की दाता है। इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्र के नवम दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि श्री सिद्धिदात्री की विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए असंभव नहीं रह जाता है। ब्रह्माण्ड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य व शक्ति उसमें आ जाती है। आचार्य ने बताया कि इनकी आराधना के दौरान साधक को अपना चित्त निर्वाण चक्र (मध्य कपाल) में स्थिर करके साधना करनी चाहिए। श्री सिद्धिदात्री की आराधना से निर्वाण चक्र जागृत होने की सिद्धियां साधक को प्राप्त होती है।


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