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छातापुर : पहले मारपीट कर महादलितों के पूरे परिवार को भगाया, फिर घरों को किया धराशायी, कार्रवाई नहीं

- छातापुर थाना क्षेत्र के डहरिया वार्ड नंबर 13 में दशकों से घर बनाकर रह रहे थे दौरा-कोनिया बनाने वाले महादलित, दबंगों ने घर उजाड़ कर भगाया

सुपौल। छातापुर थाना क्षेत्र में कानून का इकबाल जाता रहा है। यही कारण है कि दबंगई की हदें पार हो रही है। अपराध का तांडव ऐसा कि थाना क्षेत्र के डहरिया पंचायत वार्ड नंबर 13 में दशकों से सूअर पालन व दौरा कोनियां बेचकर जीवन यापन करने वाला दो महादलित परिवार बाल बच्चा सहित गांव से लापता है। दबंगों की दबंगई महीनों से उक्त परिवार पर कहर बनकर टूट रहा है और अब उनके घरों को भी जमींदोज कर दिया गया है। अपराधियों ने इतना भर रहम बरता कि जिस कच्चे घर में उन्होंने भगवान का वास बनाया था उसे क्षति नहीं पहुंचाई लेकिन शेष आवासीय घरों को धाराशायी कर दिया। इतना ही नहीं उक्त पूजा घर में एक घरेलू गैस सिलेंडर भी पड़ा है जो इस बात की गवाही दे रहा है कि रहवासी महादलित मर्जी से बाल बच्चा व परिजन सहित घर छोड़कर नहीं गए बल्कि उनके साथ बर्बरता की हदें पार की गई है। दबंगों का कहर ऐसा कि आस पास के लोग भी अब जुबान खोलने से डर रहे हैं। मिल रही जानकारी अनुसार तकरीबन पांच दशक से गणेश मरीक व अशोक मरीक का भरा-पुरा परिवार उक्त स्थल पर निवास कर रहा था। बताया गया कि उनके पूर्वज ने ही उक्त स्थल को अपना वास बनाया था। इतना ही नहीं वित्तीय वर्ष 2012-13 में मीना देवी पति गणेश मरीक के नाम से इंदिरा आवास का आवंटन भी हुआ जिसके तहत लाभुक के खाते में 30 हजार रुपए की राशि भी गई और उक्त राशि से लाभुक ने कुर्सी लेवल तक का निर्माण भी किया जो स्थलीय जायजा के दौरान दिखा भी। भय का माहौल ऐसा कि लोग खुले तौर पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। दबी जुबान से चंद लोगों ने नाम उजागर नहीं करने की‌ शर्त पर बताया कि सिस्टम को मैनेज कर इतना बड़ा कुकृत्य किया गया है। बताया कि एक तरफ दुर्गा पूजा की धूम थी और दूसरी ओर इसी दौरान उक्त दोनों महादलितों परिवारों पर दबंगों का कहर जारी था जिसे अब अपराधियों द्वारा घटना को अंजाम देने का नाम दिया जा रहा है। बताया कि आधी रात को पहुंचे अपराधियों ने महादलित परिवार के सदस्यों के साथ घर में घुसकर कर जमकर मारपीट की और दूसरे दिन जेसीबी लगाकर उनके घरों को धराशायी कर दिया। इतना ही नहीं टूटे घरों के मलबे को सड़क की दूसरी ओर भी फेंक दिया। सवाल अहम है कि आखिर दौरा-कोनिया बनाकर जीवन यापन करने वाले महादलितों के घर में ऐसा क्या था जिसे लूटने के लिए अपराधी जाएंगे! जवाब एक ही सामने आ रहा है उनके आवासीय घरों के पीछे की वैल्युएबल जमीन। जानकारी में यह भी आया कि चार माह पूर्व मक्का तैयारी के समय भी आधी रात को भेजे गए अपराधियों ने महादलित परिवार के सदस्यों के साथ गंभीर रूप से मारपीट की घटना को अंजाम दिया था जिसमें परिवार के अधिकांश सदस्यों ने अन्यत्र जाकर अपना उपचार कराया। अफसोस बस इतना है कि जिस जगह पर महादलितों का बसेरा है उस जगह के आसपास पीछे के भू स्वामी का खौफ है और उसकी थाने में भी बैठकी भी लगती है। सवाल यह भी कि महादलित परिवारों के साथ दबंगई का कहर बरपा होता रहा और स्थानीय प्रशासन संपूर्ण घटनाक्रम से अनजान बनी रही। अब जबकि महादलित परिवार स्थल से लापता हैं और उनके घरों को भी उजाड़ दिया गया है तो भी प्रशासन की निद्रा भंग नहीं हो पा रही है। संपूर्ण घटना क्रम में मेलफांस की कहानी उजागर हो रही है।गुरुवार को स्थल से लौट कर जब हालात से बीडीओ रितेष कुमार सिंह को अवगत कराया गया तो वे गंभीर दिखे। उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है स्थानीय पुलिस को स्थल पर भेजता हूं। कहा कि संपूर्ण मामले की जानकारी लेकर एससी-एसटी विभाग को अवगत कराया जाएगा और प्राप्त दिशा निर्देश के आलोक में विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। वहीं थाने से स्थल पर पहुंचे एस आई संदीप कुमार ने बताया कि घर टूटा हुआ पाया गया है जहां पीड़ित परिवार के एक भी सदस्य मौजूद नहीं थे। अब ऐसे में पुलिस कार्रवाई से पहले आवेदन ढुंढेंगी और फिर कहेगी आवेदन मिला ही नहीं नहीं तो कार्रवाई कैसे होगी! अब जबकि पीड़ित परिवार ही लापता है तो पुलिस को आवेदन कौन देगा। मतलब साफ है कि घटना को बड़ी साफगोई से साजिशन अंजाम दिया गया है। पहले मारपीट कर भगाया ताकि शिकायत करने वाला ही न हो और फिर घरों को उजाड़ कर रास्ते का कांटा साफ किया गया! घटना का लब्बोलुआब बस इतना है कि महादलित परिवारों का बसोबास हटने से जिसे लाभ होगा कतिपय उसी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और अव्वल यह कि दबंगों के कहर से भागकर छिपे महादलितों से निष्पक्षता के साथ मिलकर उनके दर्द को समझने व निदान की मानवीय पहल हो।

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