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छातापुर : योजना के कार्यारंभ में बोर्ड लगाने का नियम चलन से दूर, जानकारी देने से भी गुरेज कर रहे संबंधित अधिकारी और कर्मी

- छातापुर प्रखंड में क्रियान्वित विकास की योजनाएं गुणवत्ता को बता रही धत्ता, जिम्मेदार बने मूकदर्शक 


सुपौल। छातापुर प्रखंड में क्रियान्वित विकास की योजनाओं में मनमानेपन का खेल चल रहा है। आरंभिक चरण में योजना स्थलों पर सूचनापट्ट लगाए जाने का नियम तो साहबों की मेहरबानी से खत्म ही हो चुका है। ऊपर से आलम यह है कि उपयोग में लाई जा रही निर्माण सामग्री गुणवत्ता को धता बता रही है। ऐसा अभिकर्ता को लाभ पहुंचाने के लिए हो रहा है या फिर खुद को यह तो करपरदार ही जानें, लेकिन जो हो रहा है उससे भ्रष्टाचार की कहानी उजागर हो रही है। स्थितिगत हालात यह है कि शायद ही कोई ऐसा योजना स्थल हो जहां कार्यारंभ से पूर्व सूचनापट्ट लगाया गया होगा। कार्य जब समाप्ति पर होता है तो बोर्ड लगाकर मामले मे खानापुर्ति  कर लिया जाता है। 

     
जानकार बताते हैं कि ऐसा इसलिए किया जाता है कि संबंधित अभिकर्ता को जैसे तैसे योजना कार्य निपटारे में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। बोर्ड लगाने से प्राक्कलन की जानकारी से लेकर संबंधित सभी सूचनाएं प्रदर्शित करनी पड़ती है जिससे आमजन अवगत होने के बाद कार्य गुणवत्तापूर्ण कराने के लिए बाध्य करते हैं और‌ बेईमानी की गुंजाइश खत्म हो जाती है। बस इसी अड़चन के भय से अभिकर्ता कार्यारंभ में बोर्ड लगाने से परहेज़ बरतते हैं और लाभान्वित होने वाले तत्व मूकदर्शक बने रहते हैं।
        झखाड़गढ पंचायत के वार्ड नंबर एक में बन‌ रही सड़क में भी निर्माण सामग्री गुणवत्ता को धता बता रही थी। बताया गया कि पंचायत से पीसीसी सड़क का निर्माण हो रहा है। स्थल पर माटी मिले गिट्टी व बालू का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा था। स्थल पर न अभिकर्ता का पता था और ना ही दूर-दूर तक तकनीकी सहायक नजर आए। योजना स्थल पर पीसीसी ढलाई कार्य बिचौलिए के हवाले था। इतना ही नहीं ढलाई के नीचे जो ईंट बिछी थी उसे भी करीने से नहीं लगाया गया था। योजना का क्रियान्वयन किस मद से हो रहा है यह भी बताने के लिए कोई राजी नहीं था। मामले की जानकारी हेतु जब संबंधित तकनीकी सहायक से मोबाइल संपर्क किया गया तो दो दफा पूरी घंटी बजने के बावजूद उन्होंने काल रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा। 

       सूत्र बताते हैं कि जब से नए बीपीआरओ का पदस्थापन हुआ है पर्देदारी का दायरा बढ़ा दिया गया है। गौर करने वाली बात है कि योजना स्थल पर संबंधित बोर्ड नहीं होता और संबंधित जानकारी देने से गुरेज करते हैं तो क्या यह मान लिया जाए कि कार्य की गुणवत्ता के साथ हो रहे खिलवाड़ के पीछे इनकी मौन सहमति है!


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