सुपौल। राघोपुर प्रखंड अंतर्गत अर्राहा ग्राम में दुर्गा मंदिर समीप चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के षष्ठ दिवस के शुभ अवसर पर प्रख्यात प्रवक्ता कथावाचक मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अनेकानेक रहस्य एवं गृहस्थ आश्रम धर्म ,वानप्रस्थ धर्म , यती धर्म, सन्यासियों का धर्म एवं अनेकानेक धर्म रहस्य पर प्रकाश डालते हुए कथा श्रवण कराया ।इस कथा जग के मुख्य यजमान श्री दिनेश सिंह एवं श्रीमती फूलवती देवी भक्ति पूर्ण भक्तिभाव पूर्वक श्रद्धा विश्वास के साथ कथा श्रवण कर रहे हैं। खष्ठम दिवस के अवसर पर आचार्य धर्मेंद्र ने उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को गृहस्थाश्रम धर्म वानप्रस्थ धर्म सन्यासी धर्म एवं समस्त धर्म ग्रंथों का जो चार तत्व है ईश्वर का चिंतन ईश्वर का स्मरण इसी पर प्रकाश और व्याख्यान दिए। आचार्य श्री ने बताया कि मानव का परम कर्तव्य है गृहस्थाश्रम धर्म में रहते हुए समस्त प्रकार के मर्यादाओं का पालन करते हुए अपना जीवन निर्वहन करना चाहिए ।जिस प्रकार भगवान राम ने भगवान शिव ने अपने परिवार में गृहस्थ आश्रम में रहकर के एक दूसरे के प्रति प्रेम सौहार्द भाईचारा का जो शिक्षा प्रदान किया है वह शिक्षा अपनाने के लिए हर मनुष्य से हर जीव से एवं श्रद्धालु भक्तों से प्रार्थना किया। उन्होंने कहा कि जब तक मनुष्य गृहस्थाश्रम का पालन शास्त्रोक्त विधि विधान से नहीं किया जाएगा तब तक मनुष्य का परम गति और परम कल्याण होना संभव नहीं है। भागवत कथा के माध्यम से यही सब आख्यान हरिद्वार के तट पर महामुनी सुकदेव जी राजा परीक्षित को अनेक चरित्र को श्रवण कराए। और जैसे ही गृहस्थाश्रम धर्म में रहते हुए धर्म शास्त्र के वचनों का पालन करते हुए जीवन यापन किया जाएगा वैसे ही समस्त प्रकार के पाप ताप रोग व्याधि जड़ा पीड़ा इत्यादि से निवृत्त होकर के अंत में भगवत प्राप्ति की सुलभता से प्राप्त हो जाती है। उन्होंने खष्ठ दिवस की कथा में इंद्र यज्ञ निवारण, ब्रम्ह का मोह भंग, वेणु गीत, रास महारास, गोपी विरह गीत, कृष्ण बलराम का यज्ञोपवीत संस्कार, एवं भगवान का मथुरा गमन, भगवान के अनेकानेक विवाह प्रसंग आदि अनेक कथा को रसिक श्रोताओं को श्रवण कराए।
राघोपुर : गृहस्थाश्रम धर्म से बढ़कर कोई आश्रम नहीं : आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र
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