- कोशी नव निर्माण मंच ने धरने में जिला प्रशासन से रखी 12 सूत्री मांगें
- बाढ़ घोषित नही हुआ तो कोशी महासेतु जाम करने पर होगा विचार
सुपौल। कोशी नव निर्माण मंच ने गुरुवार को कोशी में आई बाढ़ को घोषित कराने, कटाव पीड़ितों को नियमानुकूल क्षतिपूर्ति दिलाते हुए उन्हें सरकारी जमीनों बसाने सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना दिया। धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कोशी तटबंध के भीतर घरों व रास्ते में भरे हुए पानी में रहने की पीड़ा बताई साथ ही हो रहे कटाव में अभी सामनों के नदी में समा जाने की की व्यथा बताई। बाढ़ के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुरूप 5 दिन ही नदी के पानी से घिरे रहने वाले गांव बाढ़ पीड़ित होते है उस स्थिति में महीनों से बाढ़ की पीड़ा झेल रहे लोगों के प्रति प्रशासन संवेदनशील नही है। धरना स्थल से 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया उसके बाद इंद्र नारायण सिंह, भुवनेश्वर प्रसाद, उमेश मंडल, योगेंद्र मुखिया, उपेंद्र यादव, सीता देवी, नीलम देवी व मुकेश का संयुक्त प्रतिनिधि मंडल जिला पदाधिकारी के अनुपस्थिति में उप विकास आयुक्त से वार्ता किया। उप विकास आयुक्त ने पूरी मांगों को समझने के बाद जिला पदाधिकारी के आने के बाद उनसे कार्रवाई करने के लिए कहने का आश्वासन दिया। धरने को अशोक कुमार, मो सदरुल, मोजुल्हक, परमेश्वर यादव, मो अब्बास, श्याम, शिव नारायण साह मुकेश कुमार यादव, माले नेता अरविंद शर्मा, बैरिया के मुखिया तुलाय पासवान, संजय कुमार, विजय साह, हासिम, भूपेंद्र यादव अरविंद मेहता, संदीप यादव, रामचंद्र यादव, दुखी लाल, संतोष मुखिया, सुनील, महेंद्र यादव,मनिका देवी, प्रमोद राम, प्रियंका, धर्मेंद्र राजेंद्र यादव, रौशन कुमार,अमलेश यादव, जय प्रकाश, मनोज, रामचद्र शर्मा उमेश इत्यादि ने संबोधित किया अध्यक्षता भुवनेश्वर प्रसाद और संचालन इंद्र नारायण सिंह ने किया।
12 सूत्रीय तत्कालीक मांगें
1) सुपौल जिले के कोशी पूर्वी तटबंध और पश्चिमी तटबंध/ सुरक्षा बांधगाइड बांध के बीच के गांवों को बाढ़ घोषित कर, निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP ) के तहत कार्य हो।
2) सभी कटाव पीड़ितो को जिन्हे बसने को नही है उन्हेसरकारी जमीन में बसाया जाए। पक्के व कच्चे घर का का सर्वे करके क्षतिपूर्ति दिया जाए।
3) तटबंध के भीतर जहाँ गाँव कट रहे है और जिन-जिन गांवों में जरूरत लग रही है वहां पर कम्युनिटी किचन की व्यवस्था करायी जाए।
4) कटाव पीड़ितों के समान निकालने के लिए सरकारी नावों को भेजा जाए।
5) मुफ्त साहाय्य राशि (G.R.) के लिए 7000 रूपये का भुगतान सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों को दिया जाए। साथ ही उसकी सूची में राशन कार्ड के बजाय अनुश्रवण समिति से अनुमोदित कराकर यथार्थ सूची बनवाई जाए। उसे सार्वजनिक भी किया जाए जिससे यदि किसी त्रुटीवस किसी के नाम उसमें छुट जाते है तो उन वंचित परिवारों के नाम जोड़ने की मुकम्मल व्यवस्था हो।
6) तटबंध के बीच बड़े क्षेत्रफल में मूंग की फसल बर्बाद हुई है, बिचड़ा भी डूबने से ख़राब हुआ है जहाँ धान की कुछ रोपनी हुई थी वह भी डूबने के कारण नष्ट हुई है अनेक गांवों मे पानी के दबाव के कारण एक भी फसल नहीं लगी है इसलिए उन सभी क्षेत्रो का सर्वे कराकर किसानों को फसल इनपुट अनुदान का लाभ दिए जाएं।
7) सभी घाटों पर अनुबंधित नावों के बोर्ड/ फ्लैक्स लगवाये जाएं। जहाँ नावें नही है वहां नावों को व्यवस्था की जाए।
8) तटबंध के भीतर नावों पर मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कराकर, इलाज के लिए सभी गाँवो में भेजा जाए।
दीर्घकालिक मांगें
9) कोशी तटबंध के बीच के लोगों का सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास दिलाया जाए , साथ ही कोशी बाढ़ कटाव से विस्थापित होकर तटबंध/बांध या आसपास की जमीन में बसे लोगों का भी सर्वे कराकर पुनर्वासित कराया जाए। वैसे परिवार जिनके पुनर्वास स्थलों पर दूसरे के कब्जे है, उन्हें और जिनके परिवार बढ़ने से पुनर्वास छोटा पड़ रहा है, उनको भी पुनर्वास दिया जाए। इस सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देते हुए उनके घर बनाने के लिए पैसे भी दिए जाए।
10) तटबंध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को खोजवाने में उसमें वर्णित कार्यकमों को धरातल पर उतरने में अपने स्तर से पहल करे।
11) सरकार द्वारा 4 हेक्टेयर तक के माफ़ लगान की वसूली पर रोक लगवाएं और अब तक वसूल की गयी राशि व्याज सहित वापस करें। लगानमुक्ति कानून/आदेश लाकर सम्पूर्ण लगान व सेस माफ करे। साथ ही जमीन का मालिकाना हक किसानों के पास रहे। प्रत्येक साल बाढ़ से उनकी फसलों व जमीन की हुई क्षति का क्षतिपूर्ति दे।
12) कोशी के समस्या की निदान के दीर्घकालिक उपायों की पहल भी आपके स्तर से किया जाए।
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