सुपौल। लोन माफी आंदोलन के बैनर तले शनिवार को सुपौल जिला मुख्यालय में 'न्याय यात्रा' निकाली गई। यह यात्रा गांधी मैदान से शुरू होकर शहर भ्रमण करते हुए जिला समाहरणालय द्वार पहुंची, जहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित मांग पत्र जिलाधिकारी को सौंपा गया।
यात्रा का नेतृत्व करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या राजनीतिक पार्टी के विरोध या समर्थन में नहीं है, बल्कि ऋणी परिवारों की पीड़ा को सरकार तक पहुँचाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि जब सरकार 22 उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ कर सकती है, तो गरीबों और किसानों का कर्ज क्यों नहीं माफ हो सकता?
डॉ. कुमार ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे आरबीआई के नियमों की अनदेखी करते हुए ऋण वसूली एजेंटों के जरिए गरीबों का मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज के बोझ से दबे कई परिवार आत्महत्या तक करने को मजबूर हैं और कई लोग पलायन कर चुके हैं।
बिहार में बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखा, साथ ही रोजगार के अभाव के कारण किसान और युवा गंभीर आर्थिक संकट में हैं। छात्रों को शिक्षा ऋण लेने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में केसीसी ऋण, महिला समूह ऋण, शिक्षा ऋण, और बेरोजगार युवाओं का कर्ज माफ किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऋण माफी न केवल आर्थिक राहत का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, मानसिक तनाव से मुक्ति और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी जरूरी है। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार असमर्थ ऋणधारकों को कर्ज माफी का अधिकार है और सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाना चाहिए।
इस आंदोलन में प्रदीप शर्मा, कृष्ण कुमार, कार्तिक शर्मा, मुकेश यादव, छोटू शर्मा, कृष्णदेव यादव, असगर अली, रविन्द्र यादव, राजेश पासवान, नरेश राम, राम नारायण साह, प्रीतम चौधरी, अखिलेश राम, सीमा देवी, सरिता देवी, गीता देवी, सपना देवी, संगीता कुमारी, रंजू देवी समेत दर्जनों लोगों ने भाग लिया।
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