सुपौल। छातापुर प्रखंड के महम्मदगंज पंचायत वार्ड संख्या दो में आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग का समापन शनिवार की संध्या को भक्तिमय माहौल में संपन्न हुआ। समापन सत्र में कुप्पाघाट, भागलपुर से पधारे पूज्य स्वामी परमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों में अमृतवाणी की वर्षा कर श्रद्धालुओं को अध्यात्म का संदेश दिया।
इस अवसर पर नवनिर्मित संतमत सत्संग मंदिर का विधिवत उद्घाटन किया गया। सत्संग स्थल पर भजन, कीर्तन, स्तुति, प्रार्थना, ग्रंथपाठ और प्रवचन के उपरांत आरती का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर-नारी उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
समारोह में वीआईपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पनोरमा ग्रुप के सीएमडी श्री संजीव मिश्रा विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने परम पूज्य महर्षि मेंही परमहंस जी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर मंचासीन पूज्य स्वामी जी का नमन किया। श्री मिश्रा ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि मेंही जी का जीवन सत्य, अहिंसा और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक रहा है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
स्वामी परमानंद जी ने अपने प्रवचन में कहा कि गुरु ही वह शक्ति हैं, जो मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु से ज्ञान प्राप्त किए बिना ईश्वर की भक्ति अधूरी है। जीवन रूपी नैया को भवसागर से पार लगाने में गुरु का मार्गदर्शन ही सहारा बनता है।
मुख्य अतिथि श्री मिश्रा ने कहा कि संतमत की विचारधारा भारत की आत्मा से जुड़ी हुई है, जो प्रेम, सेवा और साधना का मार्ग दिखाती है। सत्संग का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मविकास का आह्वान है। आज के दौर में मानसिक तनाव, आपसी कटुता और स्वार्थ की भावना से मुक्ति केवल आध्यात्मिक चेतना से ही संभव है।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों में भी आध्यात्मिक संस्कार विकसित करें और सत्संग जैसे आयोजनों को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं, क्योंकि यह संस्कृति और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है।
श्री मिश्रा ने संतमत सत्संग मंदिर निर्माण के लिए स्थानीय आश्रम के विक्रम बाबा के प्रति आभार प्रकट किया। साथ ही दो दिवसीय आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले संत समाज की सराहना की।
इस मौके पर विद्यानंद साह, प्रमोद साह, सुभाष कुमार निराला, दुखन साह, सूर्यकांत जी समेत अनेक श्रद्धालु और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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