सुपौल। पिपरा प्रखंड मुख्यालय स्थित जन औषधि केन्द्र में ब्रांडेड महंगी दवाइयां बेचे जाने की सूचना पर मंगलवार को ड्रग इंस्पेक्टर ने औचक निरीक्षण किया। सीएचसी परिसर में जांच की खबर मिलते ही पिपरा बाजार में संचालित दर्जनों दवा दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और मौके से गायब हो गए।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पिपरा प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों निजी क्लिनिक और मेडिकल स्टोर फर्जी तरीके से संचालित हैं, जो विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से चलते हैं। यही वजह रही कि जांच की भनक लगते ही अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक और दवा दुकानों के शटर गिर गए।
जन औषधि केन्द्र की जांच के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि यहां किसी भी ब्रांड की महंगी दवाइयां तो नहीं मिलीं, लेकिन एक प्लास्टिक की थैली में अस्पताल की निशुल्क मिलने वाली सरकारी दवाइयां ज़रूर पाई गईं। इसकी विस्तृत रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेज दी गई है। अब बड़ा सवाल यह है कि सरकारी अस्पताल की मुफ्त दवाइयां जन औषधि केन्द्र तक कैसे पहुंचीं और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं।
जांच पूरी होने के बाद जैसे ही ड्रग इंस्पेक्टर पिपरा से रवाना हुए, बाजार में बंद पड़ी नर्सिंग होम और दवा की दुकानें दोबारा खुल गईं। फिलहाल इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य व्यवस्था और निगरानी तंत्र पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं