सुपौल। सशस्त्र सीमा बल की 45वीं बटालियन मुख्यालय एवं उसकी सभी बीओपी पर शुक्रवार को “वंदे मातरम्” की 150वीं स्मृति दिवस समारोह अत्यंत श्रद्धा, सम्मान और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व बटालियन के कमांडेंट गौरव सिंह ने किया। इस अवसर पर अधिकारीगण, अधीनस्थ अधिकारी, जवानों के साथ-साथ शिक्षकगण एवं स्कूली छात्र-छात्राएँ भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत कमांडेंट गौरव सिंह द्वारा की गई। इसके बाद सभी अधिकारियों, जवानों और उपस्थित लोगों ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् का सामूहिक गायन कर मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इस दौरान कमांडेंट गौरव सिंह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए वंदे मातरम् की रचना, इतिहास और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रीय गीत है, जिसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवम्बर 1875 को की थी।
यह गीत उनके राष्ट्रवाद से प्रेरित उपन्यास आनंद मठ में 1882 में प्रकाशित हुआ था, जो 1775 के संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। उन्होंने बताया कि “वंदे मातरम्” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद और अंग्रेजी शासन के विरोध का प्रतीक बन गया था, जिसे 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था।
कमांडेंट सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा ने राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत दोनों को समान महत्व प्रदान किया। आज “वंदे मातरम्” के सामूहिक गायन और प्रचार-प्रसार हेतु देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनकी श्रृंखला में यह आयोजन भी एक महत्वपूर्ण पहल है।
कार्यक्रम के समापन पर कमांडेंट गौरव सिंह ने कहा कि “वंदे मातरम्” न केवल मातृभूमि के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह उन वीर सपूतों की स्मृति भी दिलाता है जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने सभी जवानों को राष्ट्र सेवा की भावना के साथ सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया।
इस अवसर पर द्वितीय कमान अधिकारी जगदीश कुमार शर्मा, उप कमांडेंट प्रवीण कुमार कौशिक, हरजीत राव, सुमन सौरभ सहित अन्य अधिकारी, जवान, स्कूली बच्चे और शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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