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त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में बड़ा लापरवाही का मामला उजागर, बिना सैंपल लिए जारी हुई जांच रिपोर्ट, जांच के लिए पहुंचे सिविल सर्जन

 


सुपौल। त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में मरीज का बिना सैंपल लिए जांच रिपोर्ट जारी करने का मामला तूल पकड़ चुका है। इस गंभीर लापरवाही की शिकायत के बाद शनिवार को सिविल सर्जन डॉ. ललन कुमार ठाकुर स्वयं अस्पताल पहुंचकर पूरे प्रकरण की जांच की।

सिविल सर्जन ने मौके पर लैब कर्मियों से पूछताछ की और शिकायतकर्ता परिजन से भी पूरी जानकारी ली। जांच के दौरान उन्होंने अस्पताल के ओपीडी, एक्स-रे, ईसीजी कक्ष समेत कई विभागों का निरीक्षण किया।

डॉ. ठाकुर ने बताया कि फिलहाल मामले की जांच चल रही है। लैब टेक्नीशियन से पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि किसी अन्य मरीज की रिपोर्ट गलती से संबंधित मरीज के नाम पर चढ़ गई है। सिविल सर्जन ने कहा कि यह जांच की जा रही है कि यह तकनीकी भूल थी या जानबूझकर की गई गड़बड़ी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सीएस ने बताया कि अस्पताल के उपाधीक्षक को लैब और जांच प्रक्रिया पर सतत निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि भविष्य में इस तरह की गलती दोबारा न हो।

नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 6 निवासी 57 वर्षीय बाल्मीकि प्रसाद दास को बुखार की शिकायत पर बुधवार को अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया था। डॉक्टर ने सीबीसी, हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, यूरिन आरई, विडाल और डेंगू सहित कई जांचें कराने की सलाह दी थी।

परिजन जांच के लिए लैब रूम (कमरा संख्या 6) पहुंचे, जहां लैब टेक्नीशियन ने समय की कमी बताते हुए उन्हें अगले दिन आने को कहा। परिजन बिना जांच कराए वापस घर लौट गए।

लेकिन शुक्रवार को मरीज के पुत्र के मोबाइल पर बीआर जीओवीटी से मैसेज आया कि आपका लैब परीक्षण पूरा हो गया है, रिपोर्ट 31 अक्टूबर को जनरेट की जाएगी। रिपोर्ट मिलने पर परिजन दंग रह गए — क्योंकि न तो सैंपल लिया गया था और न ही कोई जांच की गई थी, फिर भी रिपोर्ट में परिणाम दर्ज थे।

परिजनों ने तुरंत विभागीय अधिकारियों से शिकायत की। शनिवार को सिविल सर्जन की जांच के बाद भी परिजन असंतुष्ट नजर आए। उनका आरोप है कि विभाग मामले को तकनीकी भूल बताकर दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहा है।

परिजनों का कहना है कि मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ को मानवीय भूल बताकर मामले को दबाया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला केवल एक मरीज का नहीं, बल्कि अस्पताल की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। लोग स्वास्थ्य विभाग से पारदर्शी कार्रवाई और जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं।

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