सुपौल। व्यास पूर्णिमा के पावन अवसर पर संस्कृत भाषा और शिक्षा के विकास को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल हुई। आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष श्री मृत्युंजय झा से मुलाकात कर संस्कृत भाषा की अभिवृद्धि एवं विद्यालयों के समग्र विकास पर विस्तृत चर्चा की।
बैठक के दौरान आचार्य मिश्र ने संस्कृत विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति, छात्रों के पाठ्यक्रम में सुधार तथा आधुनिक शैक्षणिक संसाधनों की उपलब्धता जैसे विषयों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि संस्कृत न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह शिक्षा और ज्ञान का मूल स्रोत भी है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए जमीनी स्तर पर ठोस कार्य करने की आवश्यकता है।
इस मौके पर बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष श्री मृत्युंजय झा ने आश्वस्त किया कि सरकार से समन्वय बनाकर प्रदेश के प्रत्येक जिले में संस्कृत भाषा के उत्थान हेतु योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संस्कृत विद्यालयों को भी आधुनिक सुविधाओं से युक्त मॉडर्न विद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि छात्र भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।
व्यास पूर्णिमा के अवसर पर अध्यक्ष श्री झा ने आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। यह सम्मान संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और समर्पण के प्रति उनके योगदान को मान्यता देने के रूप में प्रदान किया गया।
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