सुपौल। हर वर्ष कोसी नदी का कटाव सैकड़ों लोगों को बेघर कर रहा है, लेकिन आज तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। इस गंभीर समस्या को लेकर कांग्रेस नेता मिन्नत रहमानी ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने प्रशासन पर कोसी तटबंध के अंदर रह रहे लोगों की लगातार अनदेखी करने का आरोप लगाया।
विगत दिनों मिन्नत रहमानी ने कोसी तटबंध के भीतर बसे नयानगर, सितुहर, बेला, मुशरनिया, तेलवा आदि गांवों का दौरा किया और वहां के पीड़ित ग्रामीणों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि गरीब और वंचित तबका आज भी तटबंध के भीतर झोपड़ियों में बेहद कठिन हालात में जीवन बिता रहा है, जबकि आर्थिक रूप से सक्षम लोग पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर चुके हैं।
रहमानी ने कहा कि सरकार कोसी क्षेत्र के लोगों से वोट तो लेती है, लेकिन उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए बनाए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन नहीं किया जा रहा है। न तो नावों की समुचित व्यवस्था है, न ही स्वास्थ्य केंद्र, राहत सामग्री या पुनर्वास की कोई ठोस योजना।
कांग्रेस नेता ने यह भी याद दिलाया कि 1987 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 'कोसी पीड़ित विकास प्राधिकरण' की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पुनर्वास, खेती और आरक्षण जैसी बुनियादी सुविधाएं देना था। यह प्राधिकरण सहरसा में कार्यरत था और क्षेत्र के युवाओं को सरकारी नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी मिलता था। लेकिन 2006 के बाद यह प्राधिकरण पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है।
उन्होंने कहा कि सुपौल मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बसे हजारों लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होकर नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्होंने वादा किया कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो कोसी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विशेष योजनाएं चलाई जाएंगी और 'कोसी पीड़ित विकास प्राधिकरण' को दोबारा सक्रिय किया जाएगा।
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