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छातापुर : सदगुरु कबीर के 34वें त्रिदिवसीय विराट संत सम्मेलन का हुआ भावपूर्ण समापन


सुपौल। छातापुर मुख्यालय बाजार स्थित मध्य विद्यालय परिसर में आयोजित सदगुरु कबीर के 34वें त्रिदिवसीय विराट संत सम्मेलन का भावपूर्ण विदाई समारोह के साथ समापन हो गया। समापन सत्र में देश-प्रदेश से पधारे साधु-संतों, महंथों एवं महात्माओं को माला, शॉल भेंट कर सम्मानपूर्वक विदाई दी गई। आयोजन समिति के साथ-साथ विदाई देने के लिए पूरा पंडाल श्रद्धालुओं से उमड़ पड़ा।

इस अवसर पर मतावलंबियों एवं धर्मप्रेमियों के बीच भक्तिभाव देखते ही बन रहा था। आरती के पश्चात सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया तथा भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा एवं आस्था के साथ प्रसाद ग्रहण किया।

समापन सत्र में मंचासीन विश्व कबीर विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य संत मनमोहन साहेब ने सदगुरु कबीर की अमृतवाणी एवं “पंच परिवर्तन – पांच विषय” पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, राष्ट्र निर्माण में नागरिकों के कर्तव्य तथा स्वबोध एवं स्वदेशी आचरण की व्याख्या करते हुए कहा कि कबीर साहेब की अमृतवाणी आज भी समाज और राष्ट्र को सही दिशा देने का कार्य कर रही है। कबीर का संदेश सत्य, करुणा और समानता का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि स्वयं का बोध आत्मकल्याण का मार्ग है, वहीं स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर जीवनशैली अपनाने से सामाजिक समरसता बढ़ती है और जाति, वर्ग व पंथ के भेदभाव समाप्त होते हैं। मजबूत परिवार, अच्छे संस्कारों से युक्त बच्चे और प्राचीन भारतीय पारिवारिक परंपरा समाज की नींव हैं। पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से अपने घर व चौराहों पर ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने का आह्वान किया।

नागरिक कर्तव्यों पर चर्चा करते हुए उन्होंने ज्ञान की ज्योति जन-जन तक पहुंचाने, प्रेम की गंगा बहाने और दीन-दुखियों को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संत-गुरु आत्मज्ञान एवं आत्मतत्व का बोध कराकर समाज को प्रकाश प्रदान करते हैं, इसलिए मानव जीवन में सत्संग और गुरु भक्ति अनिवार्य है। यही उद्देश्य इस त्रिदिवसीय आयोजन का रहा—समरस समाज की स्थापना, आत्मबोध और मानव में मानवीय गुणों का विकास।

कार्यक्रम में योगाचार्य असंगस्वरूप साहेब (मधेपुरा), संत रामस्वरूप साहेब (अररिया), महंथ राजकरण साहेब (गौड़ा, दरभंगा) ने भी अपने प्रवचनों से अमृतवाणी की वर्षा की। महंथ उपेन्द्र साहेब के संचालन में संपन्न इस आयोजन में महंथ अयोधी बाबा, महंथ जयदेवस्वरूप साहेब, महंथ रामदेव साहेब, महंथ सहदेव साहेब, महंथ रामचंद्र साहेब, जीवछ दास, फूल दास, हरिनरायण दास, बेदानंदन दास, रामानंद दास, रंजीत दास, सीताराम साहेब, जनार्दन दास, गायक ध्यानी दास एवं गायिका साध्वी प्रमिला देवी सहित कोशी एवं सीमांचल क्षेत्र के विभिन्न कबीर मठों व मंदिरों से आए साधु-संत शामिल हुए।

आयोजन को सफल बनाने में बाबा बैजनाथ दास के मार्गदर्शन में अध्यक्ष उपेन्द्र भगत, हीरालाल साह, विजेन्द्र उर्फ बौआ मंडल, अरुण बहरखेर, भूवन ठाकुर, रामलखन पासवान, सकलदेव राम, धनिलाल मलाकार, अशोक भगत, बिनोद भगत, वरुण बहरखेर सहित बाजारवासियों की सराहनीय भूमिका रही।

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