सुपौल। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार मो. अफजल आलम के दिशा-निर्देश एवं मार्गदर्शन में सुपौल प्रखंड के महेशपुर गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर महिलाओं के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। अभियान का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनों की जानकारी देकर उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना था।
कार्यक्रम के दौरान कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act) के विभिन्न प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि यह अधिनियम 9 दिसंबर 2013 से प्रभावी है और सरकारी व निजी दोनों प्रकार के कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है। कानून के तहत 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है, जिससे पीड़ित महिलाओं को त्वरित एवं निष्पक्ष न्याय मिल सके।
अधिवक्ताओं ने अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल को सुरक्षित बनाना, यौन उत्पीड़न की रोकथाम करना तथा प्रभावी निवारण सुनिश्चित करना है। यौन उत्पीड़न की परिभाषा में शारीरिक संपर्क, यौन अनुग्रह की मांग, अश्लील सामग्री दिखाना, आपत्तिजनक टिप्पणियां एवं अनुचित व्यवहार शामिल हैं।
कार्यक्रम में यह भी जानकारी दी गई कि पीड़िता घटना के तीन महीने के भीतर शिकायत दर्ज करा सकती है। शिकायत मिलने के सात दिनों के भीतर प्रतिवादी को सूचित करने तथा 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करने का प्रावधान है। अधिनियम का पालन नहीं करने पर नियोक्ताओं पर ₹50,000 तक का जुर्माना या व्यवसायिक लाइसेंस रद्द किए जाने का प्रावधान भी है।
बताया गया कि POSH Act सभी कामकाजी महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे असंगठित क्षेत्र, घरेलू कार्य, या सरकारी एवं निजी संस्थानों में कार्यरत हों।
इस जागरूकता कार्यक्रम में फाइनल अधिवक्ता विमलेश कुमार एवं मो. मोअज्जम रणवीर कुमार उपस्थित रहे। उन्होंने महिलाओं को कानून संबंधी जानकारी देकर सशक्त बनने और सुरक्षित कार्यस्थल के लिए आगे आने का आह्वान किया। कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का संदेश दिया गया।

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